इन पांच तरीकों से बचाएं प्रॉपर्टी पर कैपिटल गेन टैक्स
कैपिटल गेन का मतलब है वह टैक्स जिसे कैपिटल असेट की बिक्री में होने वाले मुनाफे पर लगाया जाता है
नई दिल्ली। कैपिटल गेन का मतलब है वह टैक्स जिसे कैपिटल असेट की बिक्री में होने वाले मुनाफे पर लगाया जाता है। कैपिटल असेट में शेयर्स, सोना या प्रॉपर्टी आदि शामिल होते हैं। प्रॉपर्टी पर शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म दोनों ही तरह का कैपिटल गेंस टैक्स लगता है। अगर प्रॉपर्टी खरीदने के तीन साल के अंदर ही उसे बेचा जाए तो शॉर्ट टम कैपिटल गेन टैक्स लगता है और तीन साल के बाद बेचने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है। यह टैक्स 20 फीसदी होता है और इसे बचाने के लिए आप यह पांच तरीके अपना सकते हैं। –
1. करें इंडेक्सेशन का उपयोग
प्रॉपर्टी जितनी पुरानी होगी ये टैक्स उतना कम होता जाएगा इसमें इंडेक्शेसन का फायदा मिलता। इसका फायदा उटाने के लिए कॉस्ट इंफ्लेशन इंडेक्स का उपयोग करें। मतलब आपकी प्रॉपर्टी के दाम बढ़ने के साथ ही महंगाई भी बढ़ी है। बढ़ी हुई महंगाई को अपनी प्रॉपर्टी के बढ़े हुए दाम से तुलना करेंगे तो आपका टैक्स कम लगेगा। इसे हम इस तरह समझते हैं, कार्तिक ने 2009 में 30 लाख में घर खरीदा और 4 साल बाद 45 लाख रुपए में बेच दिया। कॉस्ट इंफ्लेशन इंडेक्स से गणना करने पर प्रॉपर्टी की कीमत 44, 57,278 होती है। मतलब कैपिटल गेंस टैक्स सिर्फ 42,722 पर ही लगेगा न कि 15 लाख पर। 15 लाख पर कैपिटल गेंस टैक्स 3 लाख होता है, जबकि 42,722 पर सिर्फ 8,544 रुपए।
2. पुराना घर बेचकर खरीदें नया मकान
अगर आप पुराने मकान को बेचकर नया मकान खरीदेंगे तो कैपिटल गेंस टैक्स नहीं लगेगा। आपके घर बेचने का उद्देश्य पुरानी प्रॉपर्टी से पैसा कमाना नहीं बल्कि नया घर खरीदना है। सेक्शन 54 के तहत इसमें छूट मिलती है। नया मकान 3 साल तक नहीं बेच पाएंगे। इससे पहले बेचने पर टैक्स छूट का फायदा नहीं मिलेगा।
3. कैपिटल गेंस बांड भी हैं मददगार
आप अपने प्रॉपर्टी के कैपिटल गेन को इन बांड में निवेश कर सकते हैं। इनमें कम से कम 20 हजार रुपए का निवेश जरूरी है। एक वित्त वर्ष में 50 लाख से ज्यादा निवेश नहीं किया जा सकता है। निवेशक आरईसी और एनएचएआई के कैपिटल गेंस बांड में निवेश कर सकते हैं। इन बांड में किया गया निवेश कैपिटल गेंस टैक्स के दायरे में नहीं आता। बांड पर सालाना 6 फीसदी ब्याज लगता है। कैपिटल गेन होने के 6 महीने के भीतर इनमें निवेश किया जा सकता है। इन बांड में 3 साल का लॉक इन पीरियड रहता है।
4. एक स्कीम कैपिटल गेंस अकाउंट की
ये स्कीम उन लोगों के लिए है जो रिटर्न फाइल करने से पहले नई प्रॉपर्टी में निवेश नहीं कर पाते। इस स्कीम में 3 साल के लिए निवेश किया जा सकता है। इसके लिए आपको बैंक में कैपिटल गेंस अकाउंट खुलवाना होगा। इसमें कैश और चेक दोनों तरह से डिपॉजिट किया जा सकता है। इसमें 2 तरह के अकाउंट होते हैं एक अकाउंट में सेविंग अकाउंट जितना ब्याज मिलता है। दूसरे अकाउंट में आप फिक्स्ड डिपॉजिट कर एक तय समय के लिए अपना पैसा रख सकते हैं। इसमें ब्याज एफडी जितना ही मिलता है। इस अकाउंट से पैसा निकालने के 2 महीने के भीतर मकान बनाने के लिए उसका उपयोग करना होता है।
5. मुनाफे को घाटे से कवर करना
अगर आपको प्रॉपर्टी बेचने पर घाटा हुआ है और सोना बेचकर मुनाफा तो इसके लांग टर्म कैपिटल गेंस को भी आप एडजस्ट कर सकते हैं। पर याद रखें लांग टर्म कैपिटल गेंस के घाटे को लांग टर्म कैपिटल गेंस के मुनाफे के साथ ही एडजस्ट कर सकते हैं। आप शेयरों की बिक्री के घाटे को इसके साथ सिर्फ एक साल की अवधि में ही एडजस्ट कर पाएंगे। मतलब एक साल के भीतर ही आपको प्रॉपर्टी बेचकर मुनाफा हुआ है और शेयरों में घाटा तो इसे आप एडजस्ट कर पाएंगे। शेयरों में लांग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स नहीं लगता है। इसको आपको अपने इनकम टैक्स रिटर्न में दिखाना होगा। कई बार कैपिटल गेंस टैक्स के चलते भारी घाटा भी होता है। लेकिन कई तरह की छूट का लाभ उठाकर आप इसके बोझ को कम कर सकते हैं। इन तरीकों में थोड़ी मेहनत लगती है,लेकिन मेहनत का पैसा बचाने के लिए ये काफी उपयोगी हैं।
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