प्राधिकरण को नोटिस सत्यनारायण सोमानी व श्यामसिंह सिकरवार की ओर से दिया गया है। इसमें कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में गुलमोहर कॉलोनी के भूखंड खुली बोली में अधिकतम दर पर बेचने के आदेश दिए थे। प्राधिकरण ने मोहरबंद निविदाएं आमंत्रित कर ली है। वहीं प्राधिकरण ने भूखंडों का वर्गीकरण कर दिया। इसमें अलग-अलग कोटे के आधार पर दिए जा रहे हैं, जबकि कोर्ट ने इस तरह वर्गीकरण के किसी तरह के आदेश नहीं दिए थे। अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बाहर जाकर भूखंडों को वर्गीकरण कर दिया। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने सभी 103 भूखंड बेचने को कहा था लेकिन प्राधिकरण ने इन्हें टुकड़ों में बेचने की प्रक्रिया शुरू की। इससे खरीदारों में भ्रम की स्थिति है। प्राधिकरण को एक साथ ही सारे भूखंड बेचने थे। अभिभाषक राजशेखर शर्मा की ओर से दिए गए नोटिस में भूखंडों को बेचने की प्रक्रिया तुरंत रोकने को कहा है। पीआरओ प्रवीण गेहलोत ने नोटिस मिलने की बात पुष्टी करते हुए कहा कि कानूनी पक्ष लेने के उपरांत ही जवाब दे सकते हैं।
अजर इंटरप्राइजेस नहीं वसूली राशि
प्राधिकरण को भेजे नोटिस में दिल्ली की कंपनी अजर इंटरप्राइजेस से सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी बकाया राशि नहीं वसूली। अभिभाषक सोमानी के मुताबिक यह राशि ब्याज सहित दो करोड़ रुपए के करीब है। कोर्ट के आदेश के दो वर्ष बाद भी यह राशि नहीं वसूली जा सकी।