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प्रयागराज

महंत नरेंद्र गिरि की मौत पर स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने कहा, आईजी पांच बिस्वा जमीन का बनाते थे दबाव

Swami Narendranand Saraswati Statement on Mahant Narendra Giri Death- श्रीकाशी सुमेरु पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने महंत की मृत्यु बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि पूरे प्रकरण में आनंद गिरि को बलि का बकरा बनाया जा रहा है। स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि माघ मेले के दौरान नरेंद्र गिरि से उनकी मुलाकात हुई थी।

प्रयागराजSep 25, 2021 / 10:52 am

Karishma Lalwani

Swami Narendranand Saraswati Statement on Mahant Narendra Giri Death

Swami Narendranand Saraswati Statement on Mahant Narendra Giri Death

प्रयागराज. Swami Narendranand Saraswati Statement on Mahant Narendra Giri Death. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि (Narendra Giri) की मौत हत्या है या आत्महत्या, यह गुत्थी उलझती जा रही है। श्रीकाशी सुमेरु पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने महंत की मृत्यु बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि पूरे प्रकरण में आनंद गिरि को बलि का बकरा बनाया जा रहा है। स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि माघ मेले के दौरान नरेंद्र गिरि से उनकी मुलाकात हुई थी। तब नरेंद्र गिरि ने उन्हें आईजी से धमकी मिलने की बात कही थी। नरेंद्र गिरि ने उन्हें बताया था कि आईजी 5 बिस्वा जमीन अपने नाम करने की बात उसे करते हैं। साथ ही ट्रस्ट का सदस्य बनाए जाने की भी बात कही थी जिसे नरेंद्र गिरि ने इंकार कर दिया था।
डीएम एसपी को देनी चाहिए थी सूचना

दो तीन साल पहले लिखी थी वसीयत

स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि महंत नरेंद्र गिरि ने दो तीन साल पहले वसीयत लिखी थी। उस वसीयत के गवाह प्रयागराज के ही टीकरमाफी आश्रम के हरि चैतन्य ब्रह्मचारीजी थे। उन्होंने कहा कि अगर बीते 15 दिनों में जो भी महंत नरेंद्र गिरि से मिले थे उन सभी की विधिवत जांच कराई जाए तो सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा।
योगी ने लिया अच्छा निर्णय

शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जांच सीबीआई को सौंप कर बहुत अच्छा काम किया है। मेरी अपील यही है कि सभी अखाड़ों और मठ-मंदिर के प्रमुख लोग शांतिपूर्ण तरीके से इस प्रकरण का समाधान निकालें। विवाद और विषाद का पटाक्षेप होना चाहिए, इससे समाज में गलत संदेश जाता है। दूध का दूध और पानी का पानी होना चाहिए। महंत की गद्दी पर वही आसीन हो जो योग्य, विद्वान, जितेंद्रीय, चरित्रवान, मिलनसार और धर्म-शास्त्र का ज्ञाता हो।

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