महानिबंधक द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि अदालतें खोले जाने पर पूर्व में जारी की गई सभी गाइड लाइन का सख्ती से पालन करना होगा। एक कोर्ट रूम में सिर्फ चार कुर्सिंयां रखी जाएंगी। एक समय में चार से अधिक अधिवक्ता नहीं होंगे। सिर्फ वही वकील और वादकारी कोर्ट आएं, जिनका मुकदमा लगा है। मास्क और सैनिटाइजर का उपयोग तय गाइड लाइन के मुताबिक करना होगा। इस संबंध में बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों की भी मदद लेने का हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है।
ये भी पढ़ें- कोरोना से जंग के बीच आई कुछ राहत की खबर, 20 दिनों बाद आए सबसे कम 141 मरीज, एक की मौत दो ई -कोर्ट स्थापित करने के दिए निर्देश- कर्मचारी और पीठासीन अधिकारी भी न्यायिक कार्य समाप्त होते ही न्यायालय परिसर छोड़ देंगे। सभी जिला अदालतों को कम से कम एक या दो ई -कोर्ट, जिसमें जिस्ती मीट सॉफ्ट वेयर लैन वर्जन होंगे, से मुकदमों की सुनवाई के लिए स्थापित करने का निर्देश दिया गया है। रिमांड और अंडर ट्रायल कैदियों से संबंधित सभी कार्य वीडियो कांफ्रेंसिंग से ही करने होंगे। इसमें जिस्ती मीट सॉफ्टवेयर का उपयोग करना होगा।
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कंटेनमेंट जोन में कोर्ट बंद- कंप्यूटर सेक्शन को वकीलों की मदद करने का निर्देश दिया गया है। जो जिला अदालत कंटेनमेंट जोन में है उसे बंद कर देने का निर्देश हैं। जब वह कंटेनमेंट जोन से बाहर आ जाएं तो मौजूदा आदेश लागू हो जाएगा। संबंधित जिला अधिकारी प्रतिदिन मुख्य चिकित्साधिकारी के साथ स्थिति की समीक्षा करेंगे। जहां जिला प्रशासन और सीएमओ को लगता है कि अदालत एक निश्चित समय के लिए बंद की जानी चाहिए वहां बंद कर दी जाएगी। हाईकोर्ट ने वकीलों के साथ ही न्यायिक अधिकारियों को भी कोट और गाउन पहनने से छूट दी है। अदालत में उपस्थित होते समय पुरुष अधिवक्ता सफेद शर्ट और हल्के रंग की पैंट तथा महिला अधिवक्ता सादा हलके रंग का वस्त्र पहनेंगी। पूर्व में जारी अन्य गाइड का भी पालन करना होगा।