फिलहाल संचालित किए जा रहे ये IIIT सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 के तहत पंजीकृत सोसाइटी के रूप में कार्यरत हैं। लेकिन अब ये IIIT पब्लिक प्राईवेट पार्टनरशिप एक्ट के तहत कवर किए जाएंगे। भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2014 और भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (सार्वजनिक-निजी भागीदारी) अधिनियम, 2017 भारत सरकार की एक अनूठी पहल है। यह पहल सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में ज्ञान प्रदान करने के लिए आने वाली चुनौतियों का समाधान प्रदान करती है। मंगलवार को पारित किए गए भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी कानून (संशोधन) विधेयक, 2020 को बीते 20 मार्च 2020 को लोकसभा में पारित किया गया था।
विधेयक पारित होने के मौके पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताया। उन्होंने विधेयक पारित करने में समर्थन देने के लिए सदन के सदस्यों का भी आभार व्यक्त किया। पोखरियाल ने आगे कहा कि यह विधेयक देश में सूचना और प्रौद्योगिकी के अध्ययन को बढ़ावा देने को नवीन और गुणवत्तापूर्ण तरीकों से प्रोत्साहित करेगा।”
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी लॉ (अमेंडमेंट) बिल, 2020 के पारित होने से 2014 और 2017 के प्रमुख कृत्यों में संशोधन होगा। यह विधेयक, सूरत, भोपाल, भागलपुर, अगरतला और रायचूर में पांच IIIT की इंस्टीट्यूट्स के रूप में महत्वपूर्ण स्थापना करेगा।
निशंक ने आगे कहा, “ट्रिपल आईटी कानून (संशोधन) विधेयक, 2020 संस्थानों को बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी या मास्टर ऑफ टेक्नोलॉजी या पीएचडी डिग्री के नामकरण का इस्तेमाल करने का अधिकार देगा। यह वैसे ही है जैसे कि किसी विश्वविद्यालय या राष्ट्रीय महत्व के संस्थान द्वारा डिग्री जारी की जाती है। इस विधेयक से संस्थान सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में छात्रों को आकर्षित करेंगे।”