राहुल गांधी को अध्यक्ष पद पर बने रहने के लिए 51 सांसदों की ओर से तर्क भी दिए गए। सांसद शशि थरूर और मनीष तिवारी ने राहुल गांधी से कहा कि कांग्रेस के प्रदर्शन और हार की जिम्मेदारी सिर्फ आपकी नहीं है। ये जिम्मेदारी सबकी है। बावजूद राहुल गांधी कांग्रेस की हार का जिम्मा लेते हुए अपने इस्तीफे की बात पर कायम रहे।
ये पहली बार नहीं ही कि राहुल गांधी ने इस्तीफे को लेकर अपना रुख साफ किया हो। इससे पहले भी वो कांग्रेस की हार का जिम्मा लेते हुए नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देने के लिए अड़े रहे।
कार्यसमिति सिरे से खारिज कर चुकी राहुल का इस्तीफा
कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में भी राहुल गांधी ने अपने इस्तीफे की पेशकश की थी। हालांकि कार्यसमिति ने राहुल के इस फैसले को सिरे से खारिज कर दिया था।
कार्य समिति की बैठक में राहुल गांधी ने ना सिर्फ अपने इस्तीफे की बात कही बल्कि बहन और महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के नाम को भी प्रस्तावित ना करने के लिए कहा। दरअसल राहुल गांधी नहीं चाहते हैं कि कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर गांधी परिवरा का कोई भी सदस्य काबिज हो।
इस दौरान राहुल गांधी ने ये भी प्रस्ताव रखा कि अगला अध्यक्ष गैर कांग्रेसी होना चाहिए। हालांकि राहुल गांधी की इस बात को कार्यसमिति ने नहीं माना। इस बैठक के बाद ही कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा था कि राहुल गांधी को अब यह अधिकार दिया गया कि वह पार्टी में अपने मुताबिक जैसे चाहे संगठनात्मक बदलाव कर सकते हैं।
उधर..युवा कांग्रेस के देश भर से आए कार्यकर्ता बुधवार को राहुल गांधी के घर पर इकट्ठे हुए और उनसे इस्तीफा वापस लेने का अनुरोध किया। युवा कार्यकर्ताओं ने गांधी के आवास के बाहर एकत्र होकर गांधी से आग्रह किया कि वह कांग्रेस अध्यक्ष पद पर बने रहें और कार्यकर्ताओं का नेतृत्व और मार्गदर्शन करते रहें।