1— अमिताभ बच्चन—
सदी के महानायक माने जाने वाले अमिताभ बच्चन ने 1984 में अपना सियासी सफर शुरू किया और इलाहाबाद से चुनाव लड़ा। अमिताभ बच्चन के सामने उस समय के दिग्गज नेता हेमवती नंदन बहुगुणा लड़ रहे थे। हालांकि इस चुनाव में अमिताभ को विजयीश्री मिली, बावजूद इसके जल्द ही उनका राजनीति से मोह भंग हो गया और 2 साल बाद ही उन्होंने सियासत से मुंह मोड़ लिया।
2— राजेश खन्ना—
फिल्मी दुनिया के सुपर स्टार कहे जाने वाले राजेश खन्ना भी ऐसे ही शख्शियतों में शामिल हैं। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के आग्रह पर राजेश खन्ना ने राजनीति में कदम रखा और 1992 में कांग्रेस के टिकट पर नई दिल्ली लोकसभा सीट से चुनाव जीता। राजेश खन्ना सांसद बने लेकिन उनका राजनीति से मोह भंग हुआ और उन्होंने फिर पलटकर वापस नहीं देखा।
3— धर्मेंद्र
राजनीति में कुछ बॉलीवुड के ही मैन धर्मेंद्र हैं। 2004 में धर्मेंद्र राजस्थान के बीकानेर लोकसभा सीट से चुनाव लड़े और सांसद बने। लेकिन उनके बारे में यह कहावत मशहूर थी, कि चुनाव जीतकर कभी क्षेत्र में नहीं गई और वहां के लोगों ने उनकी गुमशुदा के पोस्टर तक लगा दिए। बहरहाल, अगले चुनाव से पहले ही उन्होंने राजनीति से सन्यास ले लिया।
4— गोविंदा—
ऐसा ही हाल कुछ फिल्मस्टार गोविंदा का भी रहा। गोविंदा ने 2004 लोकसभा चुनाव में उत्तर मुंबई सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और सांसद बने। लेकिन इसके बाद वह क्षेत्र और लोकसभा में नजर नहीं आए। गोविंदा का मन राजनीति से जल्द ही ऊब गया और एक योजना सांसद रहने के बाद उन्होंने सियासी दूरी बना ली।
5— परेश रावल—
बॉलीवुड के मझे हुए एक्टर और कॉमेडियन परेश रावल 2014 लोकसभा चुनाव में राजनीति मे आए और भाजपा के टिकट पर पूर्वी अहमदाबाद सीट से सांसद बने। हालांकि पांच सालों तक अपनी बयानबाजी को लेकर परेश रावल काफी सुर्खियों में रहे, लेकिन 2019 लोकसभा चुनाव आते—आते ही उनका भी राजनीति से मन भर गया और उन्होंने चुनाव लड़ने से साफ इनकार कर दिया।
लोकसभा चुनाव 2019
अगर लोकसभा चुनाव 2019 का चुनाव देखें तो बॉलीवुड के कई दिग्गज अभिनेताओं ने सियासी पर्दापण किया। जाने—माने अभिनेता सनी देओल ने भाजपा का दामन थामा, तो पार्टी ने उनको पंजाब की गुरदासपुर लोकसभा सीट से उम्मीदवार बना दिया। वहीं, अपने समय की मशहूर अभिनेत्री रही उर्मिला मातोंडकर ने कांग्रेस का हाथ थामा और नॉर्थ मुंबई सीट से प्रत्याशी हो गईं। यही नहीं इसके साथ ही दलेर मेंहदी, निरहुआ, रविकिशन, हंसराज हंस जैसे कलाकारों ने अपने सियासी सफर की शुरुआत की।
क्या है मोहभंग का कारण
दरअसल, राजनीति की दुनिया में ऐसे चेहरों को पैराशूट प्रत्याशी बोला जाता है। ऐसे चेहरों को टिकट देकर पार्टी तो जीत को लेकर निश्चिंत हो जाती है, लेकिन स्थानीय मुददों और जमीनी हकीकत से जुदा ये चेहरे चुनाव जीत कर भी स्थानीय राजनीति से कटे—कटे रहते हैं। ऐसे में क्षेत्र के लोगों की समस्याओं से भी उनको अधिक सरोकार नहीं रहता। यहां तक कि क्षेत्र के लोग अपने सांसद को क्षेत्रीय समस्याओं से रूबरू कराना तो दूर उनकी एक झलक पाने को भी तरसते हैं। यही कारण हैं उनका भी जल्द ही ऐसे स्टार्स से मोह भंग हो जाता है।