कांग्रेस वर्किंग कमेटी की शुरुआत में ही सोनिया गांधी ने अपने इस्तीफे की पेशकश कर दी। सोनिया गांधी ने अंतरिम अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की बात की। साथ में उस चिट्ठी का जवाब भी दिया जिसमें नेतृत्व पर सवाल उठाए गए थे।
सोनिया गांधी के समर्थन में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह और वरिष्ठ कांग्रेसी एके एंटनी ने चिट्ठी लिखने के कदम की आलोचना और नेतृत्व में बदलाव की मांग रखने वाले नेताओं के प्रति गुस्सा भी जाहिर किया।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के मीटिंग में बेहद तीखे लहजे में लेटर की टाइमिंग पर सवाल खड़े करते हुए यहां तक कहा दिया कि चिट्ठी बीजेपी के साथ मिलीभगत कर लिखी गई है।
राहुल गांधी ने अपने कड़े तेवरों में कहा कि सोनिया गांधी के अस्पताल में भर्ती होने और राजस्थान में सरकार संकट का सामना करने के वक्त खत क्यों भेजा गया।
राहुल गांधी के बाद प्रियंका गांधी ने कांग्रेस वर्किंग कमेटी में गुलाम नबी को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की। 6. राहुल के सवाल पर बवाल
राहुल गांधी के सवाल पर वरिष्ठ नेता उखड़ गए। गुलाम नबी आजाद ने कहा कि मिलीभगत साबित हुई तो पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे देंगे। वहीं कपिल सिबल ने कहा- बीजेपी की मदद करने का आरोप लगाया गया है। उन्होंने कहा, ‘मैंने राजस्थान हाईकोर्ट में कांग्रेस पार्टी का बचाव किया। मणिपुर में पार्टी का बचाव किया. पिछले 30 सालों में कभी भी किसी मुद्दे पर बीजेपी के पक्ष में बयान नहीं दिया। फिर भी हम बीजेपी से मिले हुए हैं!’
कांग्रेस में मचे घमासान के बाद राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने प्रतीक्रिया दी है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि राहुल गांधी ने इस तरह की (बीजेपी से साठगांठ) कोई बात नहीं कही है। गलत बातों से भ्रमित न हों। हमें आपस में या कांग्रेस पार्टी से लड़ने की जगह निरंकुश मोदी सरकार से मिलकर लड़ना चाहिए।
बवाल की खबरें बढ़ने के बाद गुलाम नबी आजाद ने सफाई देते हुए ट्वीट किया और लिखा- ‘इस प्रकार की कुछ खबरें चल रही हैं कि मैंने कांग्रेस वर्किंग कमेटी में राहुल गांधी से कहा है कि वो भाजपा के साथ मेरे सहयोग को साबित करें। मैं साफ कर देना चाहता हूं कि ना CWC की बैठक में और ना ही बाहर राहुल गांधी ने हमारी चिट्ठी को भाजपा से जोड़ा है।
वहीं कपिल सिबल ने भी ट्वीट कर लिखा कि- राहुल गांधी ने खुद उन्हें बताया कि उन्होंने ऐसे शब्द का इस्तेमाल नहीं किया है. ऐसे में मैं अपना पुराना ट्वीट हटा रहा हूं।
गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल, शशि थरूर, जितिन प्रसाद, मुकुल वासनिक, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, मिलिंद देवड़ा, रेणुका चौधरी, अखिलेश प्रसाद, पीजे कुरियन, संदीप दीक्षित, टीके सिंह, कुलदीप शर्मा, विवेक तन्खा, पृथ्वीराज चव्हाण, मनीष तिवारी और अरविंदर सिंह लवली जैसे वरिष्ठ नेताओं के नाम हैं जो पार्टी नेतृत्व में बदलाव चाहते हैं।