एक साल बाद फिर आया संकट
मीडिया रिपोर्ट की मानें तो कांग्रेस आलकमान एकबार फिर खर्च में कटौती करने को मजबूर है। पार्टी की ओर से विभिन्न इकाइयों को दिए जाने वाले फंड में कमी कर दी गई है। इससे पहले मई 2018 में भी पार्टी के सामने आर्थिक संकट खड़ा हुआ था। उस वक्त नेताओं को चुनावी प्रचार के लिए हवाई यात्राओं से परहेज करने की सलाह दी गई थी।
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पार्टी इकाइयों के खर्च में कटौती
रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस सेवादल को पहले ढाई लाख रुपए मासिक खर्च के लिए भुगतान किया जाता था। लेकिन तंगी की वजह से ये रकम घटाकर दो लाख रुपए कर दिया गया है। इसी तरह नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई), यूथ कांग्रेस और महिला कांग्रेस को भी फिजूल खर्ची पर रोक लगाने की नसीहत दी गई है।
कांग्रेस मुख्यालय में भी दिख रहा असर
बताया जा रहा है कि खाली खजाने का असर कांग्रेस मुख्यालय में भी देखने को मिल रहा है। लोकसभा चुनाव में हार के बाद से कर्मचारियों का वेतन रोक दिया गया है। कुछ लोगों को अगर वेतन मिला भी है तो वे कांग्रेस संगठन के कर्मचारी हैं।
कांग्रेस के सोशल मीडिया विंग के कर्मचारियों को भी चुनावी नतीजों के बाद से सैलरी नहीं मिली है। यही वजह से अब टीम में 55 की जगह सिर्फ 35 लोग ही बचे हैं।
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कैसे खाली हुआ कांग्रेस का खजाना
माना जा रहा है कि कांग्रेस के लिए बुरे दिन तो 16 मई 2014 से ही शुरू हो गया था। 2014 में कांग्रेस को मिली हार का सबसे बड़ा असर पार्टी की आमदनी पर पड़ा। कांग्रेस को कारोबारियों और उद्योगपतियों से मिलने वाले फंड में भारी गिरावट आई, जिसकी वजह से पार्टी खजाने में नकदी की भारी किल्लत पैदा हो गई। धीरे धीरे राज्यों से भी कांग्रेस का पत्ता साफ होता गया और फंडिंग बंद हो गई। 2019 लोकसभा चुनाव में भारी खर्चों के बाद भी पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा। कांग्रेस के गिरते रसूख की वजह से कंपनियों ने चंदा देना बंद कर दिया।