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भाजपा नेता भुपेन्द्र ने कहा कि भारत में 9.30 लाख चुनाव बूथ है। जबकि एक करोड से अधिक सरकार कर्मचारी इन बूथों पर तैनात किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि आंकड़े के अनुसार 2011 के चुनावों में 1600 से 1700 करोड़ रुपए का खर्च हुआ था, जबकि 2014 में यह चुनावी खर्च बढ़कर 4000 करोड़ हो गया था। भाजपा नेता ने कहा कि एक राष्ट्र, एक चुनाव के फार्मुले से चुनावी खर्च में बड़ी कमी देखने को मिलेगी। उन्होंने कहा कि भारत ऐसा कोई पहला राष्ट्र नहीं होगा, जो इस फार्मुले को अपनाएगा, इससे पहले भी दुनिया के कई देश एक राष्ट्र, एक चुनाव की प्रणानी पर काम कर रहे हैं और बेहद सफल रहे हैं।
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वहीं, एक राष्ट्र, एक चुनाव का चर्चा में भाग लेने वाले अधिकांश क्षेत्रीय दलों ने विधि आयोग से कहा कि ऐसा कोई भी कदम क्षेत्रीय आकांक्षाओं को कमजोर करेगा और संविधान में वर्णित संघीय संरचना को ध्वस्त कर देगा। समाजवादी पार्टी और तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) सहित कुछ दलों ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के विचार का समर्थन कर चुके हैं।