नो रिस्क, नो गेम: दिग्गज नेताओं की सीट बदलने में भाजपा आगे, ‘सेफ जोन’ में कांग्रेस
नई दिल्ली। 2019 लोकसभा चुनाव कई मायनों में ऐतिहासिक होता जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस (CONGRESS) के लिए इस बार यह चुनाव आन-बान और शान की लड़ाई है। दिल्ली की सत्ता के लिए दोनों ही पार्टियों हर हथकंडे को इस्तेमाल कर रही हैं। टिकट काटना, नए चेहरे को मौका देना, फिल्मी सितारों की मदद और सीटों की अदला-बदली करने में भी दोनों पार्टियों ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। आलम यह है दिग्गज नेताओं की सीटें बदलने में भी पार्टी ने कोई देर नहीं की। एक तरह से कहा जाए तो दोनों पार्टियों के बीच बराबरी की जंग है। लेकिन, भाजपा इसमें कहीं न कहीं कांग्रेस से एक कदम आगे निकल चुकी है।
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भाजपा के इन चार सांसदों में से तीन केन्द्रीय मंत्री हैं। इसके बावजूद पार्टी ने इनकी सीटें बदल दीं। वहीं, मेनका गांधी और वरुण गांधी के बीच सीटों की अदला-बदली की गई है। बेगूसराय और मुरैना की सीट भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। बेगूसराय में गिरिराज सिंह का कन्हैया कुमार से सीधा मुकाबला है। मीडिया रिपोर्ट्स और विश्लेषकों के मुताबिक, इस सीट पर दोनों के बीच कांटे की टक्कर है। हालांकि, कहा यह भी जा रहा है कि कन्हैया कुमार का पलड़ा भारी है। वहीं, नरेन्द्र सिंह तोमर के सामने कांग्रेस ने रामनिवास रावत को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। रामनिवास को ज्योतिरादित्य सिंधिया का करीबी नेता माना जाता है। वे मध्यप्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव परिणाम को देखते हए भाजपा के लिए यह बड़ी चुनौती हो सकती है।
भाजपा ने जहां जीते हुए उम्मीदवारों की सीटें बदली हैं। वहीं, ‘सेफ जोन’ में रहते हुए कांग्रेस ने उन दिग्गजों की सीट बदल दी है जो या तो चुनाव हार गए या फिर काफी समय बाद चुनाव लड़ रहे हैं। राज बब्बर पिछली बार गाजियाबाद से चुनाव लड़े थे, लेकिन भाजपा के जनरल वीके सिंह से वो हार गए। वहीं, उत्तर पूर्वी दिल्ली सीट से भाजपा के मनोज तिवारी चुनाव जीते थे। जय प्रकाश अग्रवाल तीसरे पायदान पर रहे थे। शीला दीक्षित आखिरी बार 1998 में पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ी थीं, लेकिन वह हार गई थीं। वहीं, भूपेन्द्र सिंह हुड्डा रोहतक से चुनाव जीतते थे, लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने अपने बेटे दीपेन्द्र हुड्डा को इस सीट से सांसद बनाया और अब खुद सोनीपत से चुनाव लड़ने जा रहे हैं। कुल मिलाकर दोनों पार्टियों के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो भाजपा ने बड़ा रिस्क लिया है, क्योंकि उसने जीते हुए सांसदों की सीटें बदली हैं। जबकि, कांग्रेस ने ‘सेफ गेम’ जोन में है।
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