पिछले 15 सालों में नीतीश कुमार को इस तरह खुल्लम-खुल्ला चुनौती देने की हिमाकत न तो कभी लालू प्रसाद यादव की हुई, न ही बीजेपी के किसी नेता की। लेकिन सियासी टकराव का यह रिस्क युवा नेता चिराग पासवान ने जेडीयू प्रमुख से ले लिया है। लेकिन अहम बात यह है कि ऐसा कर चिराग पासवान किस बात का नीतीश कुमार से बदला लेना चाहते हैं और उनकी मुसीबत क्यों बढ़ेना चाहते हैं।
Bihar Election : जेडीयू ने जारी की प्रत्याशियों की पहली सूची, उम्मीदवारों को नीतीश खुद दे रहे हैं सिंबल आइए हम आपको बताते हैं इसकी 10 प्रमुख वजह : 1. 2015 में लालू यादव के साथ महागठबंधन बनाकर बिहार में सरकार बनाने वाले नीतीश कुमार 2017 में एनडीए में वापस लौट आए। उन्होंने लालू को सियासी धोखा देकर बीजेपी की साथ सरकार बना ली। इस बीच युवा नेता चिराग पासवान की एनडीए में पूंछ कम हो गई। ये बात चिराग को पंसद नहीं आई। चिराग मानते हैं कि नीतीश ने एक योजना तहत उन्हें साइडलाइन कर अपना सिक्का जमाया।
2. बिहार में एनडीए गठबंधन में शामिल होने के बाद नीतीश ने न केवल चिराग पासवान का सहयोगी होने के बावजूद उपेक्षा की, बल्कि केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान को भी सियासी तौर पर नीचा दिखाने की कोशिश की। बिहार के विकास और जनता की अपेक्षाओं को लेकर चिराग पासवान ने कई बार नीतीश कुमार को खत लिखा। लेकिन बिहार के सीएम ने उनके खत का जवाब कभी नहीं दिया।
3. सियासी मुद्दों और विकास की योजनाओं को लेकर जब भी एलजेपी प्रमुख ने सीएम से मिलने की कोशिश की, उन्होंने इसका अवसर नहीं दिया। नीतीश कुमार के इस रुख की वजह से चिराग पासवान अपनी ही सरकार होने के बावजूद पार्टी के विधायकों व नेताओं को जवाब नहीं दे पा रहे थे। साथ जनता का काम भी नहीं करवा पाए।
Bihar Chunav : महागठबंधन ने सीट आवंटन में भी बाजी मारी, पहले चरण के 71 में से 39 सीटों पर RJD का प्रत्याशी तय 4. पिछले डेढ़ साल के दौरान चिराग पासवान ने बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट’ को लेकर प्रदेशभर में अभियान चलाया। लेकिन इस अभियान को चलाने में भी बिहार सरकार का उन्हें सहयोग नहीं मिला। जबकि उनका ये अभियान 12 करोड़ बिहारियों के स्वाभिमान से जुड़ा था।
5. 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान एलजेपी को लोकसभा की छह सीटें और रामविलास पासवान को राज्यसभा से भेजने का वादा किया था। लेकिन जब राज्यसभा का चुनाव हुआ तो नीतीश ने रामविलास का साथ अनमने ढंग से दिया। इससे उनकी उपेक्षा हुई। वादों को अनुरूप रामविलास पासवान को राज्यसभा भेजने से नीतीश बचते रहे। रामविलास के पत्रों का जवाब नहीं दिया। न ही उनके सियासी कद का ख्याल रखा।
6. एलजेपी प्रमुख बिहार में मुजफ्फरपुर सुधार गृह कांड, भ्रष्टाचार, कोरोना वायरस, बाढ़ की विभीषिका, बेरोजगारी, प्रवासी मजदूरों की वापसी से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए भी बार-बार अपील के बावजूद बिहार सरकार व जेडीयू ने ध्यान नहीं दिया।
Bihar Chunav : नीतीश से चिराग नाराज, चुनाव बाद एलजेपी बीजेपी के साथ बनाएगी सरकार 7. ‘बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट’ अभियान में तहत उन्होंने एक सर्वे किया। इस सर्वे में बिहार के 4 लाख लोगों को शामिल किया। रायशुमारी में बिहार के सीएम को बदलने का बातें सामने आईं। फिर विधानसभा चुनाव के लिए सीटों का आवंटन 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान किए गए वादों के अनुरूप नहीं हुआ। परिणाम यह हुआ कि चिराग पासवान ने एनडीए से अलग चुनाव लड़ने का निर्णय ले लिया। साथ ही जेडीयू को सत्ता से बेदखल करने के लिए 143 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। खास बात यह है कि तेजस्वी यादव की तरह अब चिराग पासवान भी नीतीश को चौथी बार मुख्यमंत्री के रूप में नहीं देखना चाहते हैं।
8. एलजेपी ने साफ कर दिया है कि चुनाव के बाद पार्टी बीजेपी का समर्थन करेगी। चिराग पासवान पहले से कह रहे थे कि हमारा गठबंधन जेडीयू से नहीं, बल्कि बीजेपी से है। हम बिहार चुनाव में पीएम मोदी के साथ जाएंगे।
9. एलजेपी ने नारा दिया है कि मोदी तुझसे बैर नहीं, नीतीश तेरी खैर नहीं। साफ है कि केंद्र की तर्ज पर चिराग बिहार में भी एलजेपी-बीजेपी के साथ सरकार बनाना चाहते हैं।
Bihar Election : इस रणनीति के तहत चिराग की एलजेपी 42 नहीं, 143 सीटों पर लड़ेगी चुनाव! 10. चिराग पासवान कई बार बता चुके हैं कि नीतीश कुमार का सात संकल्प सात भ्रष्टाचार है। इसलिए नीतीश के नेतृत्व में चुनाव लड़ने से एंटी इनकंबेंसी का नुकसान एनडीए को हो सकता है। अब अलग चुनाव लड़ने की स्थिति में एलजेपी अपनी इसी मुद्दे को भुनाएगी। ऐसा कर चिराग नीतीश के महादलित वोट बैंक पर भी चोट दे सकते हैं।