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Bihar Election : एमवाई के बदले तेजस्वी का ए टू जैड संदेश, इस बार यादव प्रत्याशियों को मिला कम प्रतिनिधित्व

आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने लालू यादव के लाइन से हटकर चुनाव लड़ने के संकेत दिए।
2015 की तुलना में इस बार पहले चरण में यादव प्रत्याशियों को मिला कम प्रतिनिधित्व।
उपेंद्र कुशवाहा के प्रभाव को कम करने के लिए 3 कोइरी प्रत्याशियों को मैदान में उतारा।

Oct 07, 2020 / 08:52 am

Dhirendra

Tejashwi Yadav

आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने लालू यादव के लाइन से हटकर चुनाव लड़ने के संकेत दिए।

नई दिल्ली। बिहार में नीतीश के कुमार के 15 साल के शासन के बाद बदले सियासी परिदृश्य के बीच राष्ट्रीय जनता दल ( RJD ) ने भी चुनावी रणनीति बदल दी है। इस बार आरजेडी ने लालू के एमवाई ( MY ) फार्मूले को तवज्जो न देकर ए टू जैड ( A to Z ) फार्मूले की नीति पर आगे बढ़ने का संकेत दिए हैं। इसका संकेत आरजेडी की ओर से पहले चरण के मतदान के लिए जारी पार्टी के प्रत्याशियों की सूची से मिल गया है।
साफ है कि लालू यादव के जंगलराज से 2015 तक लालू यादव के एमवाई फार्मूले के बदले तेजस्वी यादव ( Tejashwi Yadav ) ने ए टू जैड की नीति पर चलने के संकेत दिए हैं। पहले चरण में इस बार आरजेडी के कोटे में इस बार 71 में से 41 सीटें आईं हैं। इनमें से 19 यादव प्रत्याशी आरजेडी ने मैदान में उतारे हैं। जबकि 2015 में इससे ज्यादा यादव प्रत्याशी आरजेडी की ओर से मैदान में उतारे गए थे।
2015 में तो इन 71 सीटों में से 22 यादव प्रत्याशी चुनाव जीतकर बिहार विधानसभा चुनाव ( Bihar Assembly Election ) पहुंचे थे। वहीं इस बार मुस्लिम चेहरे के रूप में भी केवल 2 प्रत्याशियों को ही चुनाव लड़ने का मौका पहले चरण में दिया गया है।
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आरजेडी ने इस बार मुस्लिम-यादव समीकरण को साधने के साथ ही पार्टी ने दलितों, अति पिछड़ों पर भी फोकस किया है। हालांकि, इस बार भी सर्वाधिक 19 टिकट यादव प्रत्याशी उतारे गए हैं। लेकिन यह 2015 की तुलना में कम है।
कुशवाहा के असर को कम करने की कोशिश

इस बार आरजेडी ने यादव को प्रतिनिधित्व को कम कर आरएलएसपी के उपेंद्र कुशवाहा के इस क्षेत्र में प्रभाव को कम करने के लिए कोइरी समाज को भी साधने की कोशिश की है। इसके अलावा खुद को पुरानी इमेज से उबारने के लिए ए टू जैड की पार्टी होने का संदेश देने की भी कोशिश की है। टिकट वितरण में राजपूत, ब्राह्मण, भूमिहार और वैश्य समाज को भी प्रतिनिधित्व दिया है।
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बता दें कि महागठबंधन के लिए पहले चरण का चुनाव बेहद महत्वपूर्ण है। पिछले चुनाव में इन 71 में से 54 सीटें आरजेडी के पास थीं। 71 में से सबसे ज्यादा आरजेडी के 25 प्रत्याशी पहले चरण के 71 विधानसभा सीटों से जीते थे। इनमें 22 यादव प्रत्याशी थे। इस बार आरजेडी के कोटे में 71 में से 41 सीटें आई हैं।
71 में से मुस्लिम प्रत्याशी केवल 2

पार्टी ने इस बार बांका और रफीगंज से मुस्लिम चेहरे उतारे हैं। जबकि मोकामा से चर्चित निर्दलीय विधायक अनंत सिंह, रामगढ़ से सुधाकर सिंह, शाहपुर सीट से आरजेडी उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी के बेटे राहुल तिवारी को मिली है। उसे ब्राह्मण कोटे की सीट माना जा सकता है। पार्टी ने कोइरी जाति के 3 प्रत्याशियों को टिकट देकर उपेंद्र फैक्टर को भी साधने का प्रयास किया है। इसके अलावा 8 एससी और एक एसटी के प्रत्याशियों को टिकट दिए हैं।
एमवाई गुट के नेता नाराज

लेकिन आरजेडी के इस रुख से पार्टी का एमवाई धरे के नेता नाराज हो गए हैं। एमवाई फार्मूले के तहत जिन नेताओं को इस बार टिकट नहीं मिला वो तेजस्वी यादव के फैसले पर अभी से सवाल उठाने लगे हैं। इन नेताओं का आरोप है कि तेजस्वी पार्टी को मुस्लिम-यादव गठबंधन पर केंद्रित पार्टी से ए टू जैड संगठन में बदल देंगे।

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