बिहार चुनाव के नतीजों के साथ ही एक बार फिर राहुल गांधी के नेतृत्व की परीक्षा। जिस तरह गुजरात चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन ने राहुल गांधी को रातों-रात परिपक्व राजनेता बना दिया था, उसी तरह बिहार चुनाव के नतीजे भी राहुल की नेतृत्व क्षमता की कड़ी परीक्षा है। ऐसा इसलिए क्योंकि इन दिनों पार्टी में शीर्ष नेतृत्व को लेकर तनाव है। ऐसे में बिहार चुनाव की कमान संभाले राहुल गांधी के लिए नतीजे मन मुताबिक आते हैं तो ये उनके कद को कायम रखने में अहम भूमिका निभाएंगे।
कांग्रेस में लंबे समय से अध्यक्ष पद को लेकर घमासान जारी है। बिहार चुनाव के नतीजों के बाद होने वाली कांग्रेस की बैठक में जाहिर तौर पर पार्टी का प्रदर्शन अहम भूमिका निभाएगा। ऐसे में कांग्रेस के लिए अध्यक्ष पद के चुनाव की राह भी बिहार के परिणामों से ही होकर गुजरती है। 2021 में होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस को अपनी सही राह पकड़नी होगी, इसके लिए जरूरी है शीर्ष नेतृत्व। परमानेंट अध्यक्ष मिलने के बाद पार्टी के लिए ये राह बहुत हद तक सरल हो जाएगी।
कांग्रेस में पिछले दिनों 23 असंतुष्टों की नाराजगी जग जाहिर है। इन असंतुष्टों के दबाव के राहत के लिए भी जरूरी है कि बिहार के नतीजे कांग्रेस के लिए बेहतर प्रदर्शन लेकर आएं। इससे पार्टी में उठ रहे असंतोष के स्वरों को दबाना आसान होगा और भविष्य के लिए भी नजीर पेश की जा सकेगी।