वरुण गांधी ने कहा कि निजीकरण की वजह से प्रदेश में पांच साल में 18 लाख लोग नौकरी से हटाए गए। उन्होंने कहा कि सालों में वास्तविक वेतन मात्र एक फीसदी बढ़ा है लेकिन महंगाई कई गुना बढ़ी है। इसका असर आम लोगों पर पड़ रहा है। लोगों के पास जो जमा पूंजी थी, वह महंगाई ने खत्म कर दी।
वरुण गांधी ने कहा कि सरकारी नौकरी पहले आम आदमी के लिए एकमात्र नौकरी थी। जबसे निजीकरण हुआ तब से नौकरी पाना तो दूर उसके बारे में सोचना भी कठिन है। यही वजह है कि दो भारत बन गए हैं। एक भारत में लोग आसानी से दौड़ रहे हैं और दूसरे भारत का भट्ठा बैठता जा रहा है। पिछले सात वर्षों में 28 करोड़ लोगों ने सरकारी नौकरी के लिए परीक्षाएं दीं पर नौकरी मात्र सात लाख लोगों को ही नौकरी मिली है।