आज शनिवार होने के साथ ही शनिश्चरी अमवस्या का दिन है, ऐसे में आज हम आपको शनि देव के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां साल में एक बार चमत्कार अवश्य होता है।
वैसे तो देश में कई जगहों पर शनि देव के मंदिर मौजूद है। लेकिन शनि देव का एक मंदिर पूरे देश में अत्यंत विशेष माना जाता है, जो 7000 फीट की ऊंचाई पर मौजूद है ही साथ ही यहां सैंकडों सालों से एक अखंड ज्योति भी जल रही हैं। इसके अलावा यहां हर साल कोई न कोई चमत्कार भी अवश्य ही होता है।
दरअसल हम बात कर रहे हैं देवभूमि उत्तराखंड के खरसाली में मौजूद शनिधाम की। जहां मां यमुना के बड़े भाई शनिदेव का धाम स्थित है। भगवान शनिदेव यहां 12 महीने विराजमान रहते हैं। अपने कष्टों का दूर करने के लिए हर साल शनि मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
7000 फुट की ऊंचाई पर…
पौराणिक कथाओं के अनुसार न्याय के देवता शनिदेव को हिंदू देवी यमुना का भाई है। देवभूमि उत्तराखंड के खरसाली में शनिदेव का धाम स्थित है, समुद्री तल से लगभग 7000 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। बताया जाता है कि यहां लोग अपने कष्टों को दूर करने के लिए हर साल बड़ी संख्या में आते हैं और शनिदेव का दर्शन करते हैं।
मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने करवाया था। यह मंदिर पांच मंजिला है, लेकिन बाहर से देखने से पता नहीं चल पाता कि यह मंदिर पांच मंजिला है। जानकारों के अनुसार इस मंदिर के निर्माण में पत्थर और लकड़ी का उपयोग किया गया है।
आज शनिश्चरी अमावस्या है और सनातन धर्म में शनिवार के दिन शनिदेव की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। माना जाता है कि शनि हमारे जीवन को अत्यधिक प्रभावित करते हैं।
ज्योतिष के अनुसार जो लोग अपनी कुंडली से शनि की दशा को सुधारना चाहते हैं, उन्हें शनिवार के दिन इस शनि मंदिर में आने से खास लाभ मिलता है। इसके अलावा यहां साल में एक बार चमत्कार जरूर होता है।
अखंड ज्योति : जीवन के सारे दुख करती है दूर
वहीं इस मंदिर में शनिदेव की कांस्य की मूर्ति विराजमान है और साथ ही यहां एक अखंड ज्योति भी मौजूद है। मान्यता है कि इस अखंड ज्योति के दर्शन मात्र से ही जीवन के सारे दुख दूर हो जाते हैं और शनि दोष से मुक्ति मिल जाती है। कहते हैं कि इस मंदिर में साल में एक बार चमत्कार होता है।
होता है चमत्कार…
स्थानीय लोगों के अनुसार, हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन मंदिर के ऊपर रखे घड़े खुद बदल जाते हैं। बताया जाता है कि इस दिन जो भक्त शनि मंदिर में आता है, उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।
बहन यमुना से मिलने यहां आते हैं शनि देव
यहां प्रचलित किंवदंतियों के अनुसार प्रतिवर्ष अक्षय तृतीय पर शनि देव यमुनोत्री धाम में अपनी बहन यमुना से मिलकर खरसाली लौटते हैं। वहीं दिवाली के दो दिन बाद भाईदूज या यम द्वितिया के त्यौहार पर यमुना को खरसाली ले जाते हैं। इस समय शनि देव और देवी यमुना को पूजा-पाठ करके एक धार्मिक यात्रा के साथ लाया ले जाया जाता है।
मंदिर में शनि देव 12 महीने तक विराजमान रहते हैं और सावन की संक्रांति में खरसाली में तीन दिवसीय शनि देव मेला भी आयोजित किया जाता है। वहीं मंदिर के निर्माण में पत्थर और लकड़ी का उपयोग किया गया है। ये मंदिर यमुनोत्री धाम से लगभग 5 किलोमीटर पहले ये पड़ता है।