इस ऑक्सीजन प्लांट को लगाने में 70 लाख रुपए की लागत आई है। यह राशि प्लांट के लगातार ढंग से कार्य करने पर दो वर्ष में निकल जाएगी। इसका अर्थ यह है कि दो साल बाद 70 लाख रुपए की अस्पताल प्रशासन को हर साल बचत होगी और सुविधा मिलेगी वह अलग।
बांगड़ मेडिकल कॉलेज अस्पताल में अभी 150 बेड पर ऑक्सीजन पाइंट दिए गए है। कोविड के सभी वार्डों के अलावा ट्रोमा सेन्टर में भी ऑक्सीजन पाइप लाइन से ही आपूर्ति की जा रही है। इसके अलावा ऑरेशन थियरेट व अन्य कुछ वार्डों में भी ऑक्सीजन पाइप लाइन लगाई जा चुकी है।
कोविड 19 के मरीजों में सांस लेने की दिक्कत अधिक होती है। इसके साथ ही दुर्घटना में घायलों व ऑपरेशन करते समय प्रसुताओं व अन्य मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत रहती है। बांगड़ चिकित्सालय में अभी रोजाना 100 से 130 सिलेण्डर की जरूरत रहती है। कई बार यह संख्या 150 तक भी पहुंच जाती है।
ऑक्सीजन का निर्माण अस्पताल में ही होने से मरीजों को लाभ होगा। इसके साथ ऑक्सीजन बैंक भी चलता रहेगा। जिसका उपयोग जरूरत के अनुसार किया जाएगा। प्लांट इंस्टोलेशन का कार्य दस से बारह दिन में पूरे होने की उम्मीद है। –डॉ. ओपी सुथार, प्रभारी, ऑक्सीजन बैंक व ऑक्सीजन निर्माण यूनिट