बांगड़ मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में एमआरआई की मशीन नहीं होने के कारण एक निजी चिकित्सालय के साथ एमओयू किया गया था। बांगड़ के आउटडोर व इनडोर में एमआरआई की जांच की जरूरत होने पर चिकित्सक की ओर से लिखी पर्ची के आधार पर उस चिकित्सालय में एमआरआई की जाती थी। निजी अस्पताल की ओर से करीब एक माह पहले एमआरआई का जो बिल दिया गया, उसमे कॉलेज प्रशासन को घपले की बू आई तो उन्होंने तुरन्त फरवरी माह से बिल का भुगतान रोक दिया और एमआरआई भी बंद करवा दी। उसके लिए जांच कमेटी का गठन किया। जो एमआरआई लिखने वाले चिकित्सकों से यह पता कर रही है कि उन्होंने किस-किस जांच के लिए एमआरआई लिखी थी और निजी चिकित्सालय की ओर से कौन-कौनसी अतिरिक्त एमआरआई का बिल जोड़कर दिया गया है।
सभी बिल रोकर जांच कमेटी बनाई
एमआरआई में अप्रेल माह का ही बिल करीब पांच लाख रुपए से अधिक का था। चिकित्सक की लिखी एमआरआई के अलावा अन्य एमआरआई करने की सूचना पर निजी चिकित्सालय के सभी बिल रोक दिए है। जांच कमेटी का गठन किया है।
डॉ. दीपक वर्मा, प्रिंसिपल, मेडिकल कॉलेज, पाली
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इधर, सिटी स्कैन की भी जांच एमआरआई के बिलों में गडबड़ी की आशंका के चलते मेडिकल कॉलेज प्रशासन की ओर से पीपीपी मोड पर संचालित 128 स्लाइस की सिटी स्कैन मशीन पर होने वाली जांचों के लिए भी कमेटी का गठन किया गया है। मेडिकल कॉलेज प्रशासन का कहना है कि 128 स्लाइस की सिटी स्कैन मशीन शुरू होने से लेकर अब तक कॉलेज प्रशासन की ओर से किसी बिल का भुगतान नहीं किया गया है।