मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि मानसून की लाइन चेंज हो रही है। जो अब उत्तर-पूर्वी हिमालय क्षेत्र से धीरे-धीरे नीचे आ रही है। मानसून लाइन अपनी सामान्य अवस्था से उत्तर दिशा में शिफ्ट होने और पश्चिमी हवा का प्रभाव बढऩे के कारण राज्य में मानसून कमजोर पड़ गया था। मौसम वैज्ञानिकों का अनुमान है कि मानसून के दूसरे सीजन का असर भी पूर्वी राजस्थान में ही ज्यादा रहेगा। पश्चिमी राजस्थान में अभी भी बारिश का दौर कम दर्ज किया जाएगा। इस लिहाज से आगामी दिनों में पाली जिले में पेयजल का संकट खड़ा होना तय है। मानसून के लिहाज से जोधपुर संभाग अन्य संभागों में सबसे पीछे है। संभाग के सूखे बांधों को बारिश का इंतजार है। संभाग के बांधों में कुल भराव क्षमता का मात्र 5.3 प्रतिशत ही पानी बचा है। जबकि, पिछले मानसून में संभाग के बांधों में 12 अगस्त तक 8 प्रतिशत से अधिक पानी था। संभाग के 123 बांधों की कुल भराव क्षमता 976.90 एमक्यूएम है और अब तक 51.89 एमक्यूएम पानी है। यानि 5.3 प्रतिशत पानी ही है।
यह है पाली की स्थिति
पाली जिले में 18 अगस्त तक सबसे कम बारिश सुमेरपुर तहसील क्षेत्र में औसत की 12 फीसदी हुई है। बाली में 32, पाली व रायपुर में 52-52, सोजत में 35, मारवाड़ जंक्शन में 62, रानी में 38, रोहट में 30, देसूरी में 35 तथा जैतारण तहसील क्षेत्र में 58 फीसदी बारिश ही हो पाई है। जिले में वर्षा का औसत 508.1 प्रतिशत हैं। जबकि अब तक दसों इलाकों में 202.2 प्रतिशत बारिश ही हो सकी है। इन इलाकों के 52 बड़े पेयजलस्रोतों की क्षमता 549.83 एमक्यूएम हैं। जिनमें अभी 43.77 एमक्यूएम पानी शेष है। जो क्षमता का महज 8 फीसदी है।
राज्य की यह है हालत
जल संसाधन विभाग के आंकड़ों के अनुसार कुल 33 में से 11 जिले कम वर्षा की श्रेणी में हैं। 13 जिले सामान्य वर्षा की श्रेणी में है। जबकि 5 जिलों में 1 जून से 15 अगस्त तक अत्यधिक बारिश हुई है। जोधपुर संभाग में सामान्य से कम वर्षा हुई है। कम वर्षा वाले जिलों 20 से 0.59 प्रतिशत में बांसवाड़ा, बाड़मेर, भीलवाड़ा, डूंगरपुर, गंगानगर, जालोर, जोधपुर, पाली, राजसमंद, सिरोही और उदयपुर है।