फिनटेक फोरम पर उन्होंने कहा कि किस तरह उनकी टीम आधुनिक तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंसी के जरिए दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्र संघ के विकासशील देशों के एसएमई सेक्टर में कऱीब 500 बीलियन डॉलर के वित्तीय गैप को कम करने और आधारभूत बैंकिंग सुविधाओं से वंचित कऱीब 30 करोड़ लोगों तक अपनी सुविधाएं उपलब्ध करवाने की कोशिश कर रहे हैं। जितेंद्र के नेतृत्व में बने इसी तकनीकी प्लेटफार्म को वर्ष 2020 में कोविड से ग्लोबल स्केल पर निबटने के लिए ग्राउंड ब्रेकिंग टॉप 40 इनोवेटिव फिनटैक सोल्यूशंस में शामिल किया गया था।
यों गाड़े सफलता के झंडे जितेन्द्र के पिता शिवजीसिंह जैतावत पुलिस में अतिरिक्त उप निरीक्षक (एएसआई) है। जितेन्द्र की प्रारंभिक शिक्षा ननिहाल में नानोसा नरपतसिंह भाटी के सान्निध्य में टेकरा गांव में हुई। तत्पश्चात सीनियर सैकण्डरी तक पाली शहर की इमानुअल मिशन स्कूल में अध्ययन किया। 2006 में उन्होंने मालवीय राष्ट्रीय प्रोद्योगिकी संस्थान जयपुर से बीटेक किया। उन्होंने 2006 में अपना कॅरियर आइबीएम इंडिया से शुरू किया था। तभी से सफलता का यह सफर सात समंदर पार लगातार जारी है। 2008 में टोक्यो में गोल्डमन सैच्स में सेवाएं दी। टोक्यो और सिंगापुर में वाइस प्रेसीडेंट के रूप में गोल्डन सैच्स में अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया। 2019 से हेलीकैप में मुख्य तकनीकी अधिकारी के रूप में कार्यरत है।
प्रेरणा से यहां तक पहुंचा
नानोसा नरपतसिंह और पिता शिवजीसिंह का ऋणी हूं। उनकी प्रेरणा और आशीर्वाद से ही यहां तक पहुंचा हूं। जहां भी रहता हूं भारतीयता में जीता हूं। मुझे खुशी है कि ग्रामीण परिवेश से निकलकर मैंने मुकाम हासिल किया। टैलेंट के दम पर हम पूरी दुनिया में नाम कमा सकते हैं। –जितेन्द्रसिंह जैतावत, cto