दरअसल, कश्मीर मामले पर पाकिस्तान ने सऊदी अरब की आलोचना करते हुए धमकी दी थी कि यदि विदेश मंत्रियों की बैठक नहीं बुलाई गई तो वे खुद ही रास्ता निकाल लेंगे। पाकिस्तान ने कहा था कि कश्मीर मामले पर इस्लामिक देशों के संगठन OIC पाकिस्तान के साथ खड़ा नहीं है।
इसके बाद से सऊदी अरब ने पाकिस्तान को कच्चा तेल ( Crude Oil ) देने के फैसले पर रोक लगा दी। इससे बौखलाए पाकिस्तान के सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा ( Pakistan Army Chief Qamar Javed Bajwa ) इसी सप्ताह सऊदी अरब को मनाने के लिए पहुंचे, लेकिन उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा। सऊदी प्रिंस सलमान ( Saudi Prince Salman ) ने बाजवा से मिलने से इनकार कर दिया। इतना ही नहीं, सऊदी अरब ने पाकिस्तान से अपने 3 अरब डॉलर की रकम को वापस मांगा है।
OIC ने कश्मीर पर निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ( Pakistan Foreign Ministry ) के प्रवक्ता जाहिद चौधरी ने कहा कि OIC ने कश्मीर मामले पर एक संपर्क समूह बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि OIC ने एक विशेष दूत नियुक्त किया और भारत के कार्यो की निंदा करने के लिए कई प्रस्ताव पारित किए।
चौधरी ने कहा के पाकिस्तान OIC के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं की पुष्टि करता है। मुस्लिम देशों के एकता के प्रति पाकिस्तान प्रतिबद्ध है और हमेशा उसी दिशा में काम किया है। हम आगे भी मुस्लिम देशों को एकजुट करने का प्रयास जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि जनरल बाजवा की सऊदी अरब की यात्रा इस बात का सबूत है कि दोनों देशों के बीच भाइयों जैसा संबंध बरकरार है।
बता दें कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ( Pakistan Foreign Minister Shah Mehmood Qureshi ) ने पाकिस्तान के न्यूज चैनल ARY से बात करते हुए कहा था ‘मैं एक बार फिर से पूरे सम्मान के साथ OIC से कहना चाहता हूं कि विदेश मंत्रियों की परिषद की बैठक हमारी अपेक्षा है। यदि आप इसे बुला नहीं सकते हैं तो मैं प्रधानमंत्री इमरान खान ( Pakistan PM Imran Khan ) से यह कहने के लिए बाध्य हो जाऊंगा कि वह ऐसे इस्लामिक देशों की बैठक बुलाएं जो कश्मीर के मुद्दे पर हमारे साथ खड़े होने के लिए तैयार हैं।’