दरअसल, जहां एक ओर इमरान सरकार कुलभूषण जाधव को भारत का जासूस साबित करने में जुटी है, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान के विपक्षी दलों ( Pakistan’s opposition parties ) ने ही इमरान सरकार कई गंभीर आरोप लगा दिए हैं। पाकिस्तान के विपक्षी दलों का आरोप है कि इमरान सरकार जाधव पर चोरी-छिपे अध्यादेश ( Ordinance ) लाना चाहती है और उसे बचाना चाहती है।
अध्यादेश लाना चाहती है इमरान सरकार..
पाकिस्तान की मीडिया रिपोर्ट्स मुताबिक, विपक्ष लगातार ये आरोप लगा रहा है कि इमरान सरकार अध्यादेश लाकर कुलभूषण जाधव की सजा को खत्म करनी की कोशिश में है। हालांकि कानून और न्याय मंत्रालय ने ( Ministry of Law and Justice ) विपक्ष के इन आरोपों को खारिज कर दिया है।
Dawn ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि पीपल्स पार्टी सीनेटर रजा रब्बानी ( People’s Party Senator Raza Rabbani ) ने इस बात पर सवाल किया था कि सरकार ने पाकिस्तान की संसद ( Parliament of pakistan ) में अध्यादेश क्यों पेश नहीं कर रही है। विपक्षी दलों का आरोप है कि दरअसल सरकार बिना संसद को विश्वास में लिए अध्यादेश जारी कर चुकी है।
रिपोर्ट में आगे यह भी बताया गया है कि इससे पहले पाकिस्तान ने जो अध्यादेश जारी किया था उसे संसद में पेश नहीं किया गया। इस अध्यादेश के बाद ही कुलभूषण जाधव को मौत की सजा ( Kulbhushan Jadhav sentenced to death ) के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की इजाजत मिल गई थी।
जाधव के राजनयिक पहुंच पर विवाद
बता दें कि गुरुवार को पाकिस्तान ने भारत को दूसरी बार राजनयिक पहुंच ( Counselor Access ) दी थी, लेकिन एक बार फिर से पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आया। जब भारतीय राजनयिक ( Indian diplomat ) जाधव से पाकिस्तान की जेल में मिलने पहुंचे तो पाकिस्तान ने बिना किसी रोकटोक के मुलाकात नहीं होने दी।
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इतना ही नहीं, उल्टे पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ( akistan Foreign Minister Shah Mehmood Qureshi ) ने आरोप लगाया कि भारतीय राजनयिक जाधव को छोड़कर फरार हो गए। बाद में कहा कि भारत चाहे तो पाकिस्तान बिना सिक्यॉरिटी के भी जाधव से मिलने की इजाजत देने को तैयार है। हालांकि अभी तक ऐसा नहीं हो पाया है। अब ये कयास लगाए जा रहे हैं पाकिस्तान तीसरी बार कुलभूषण को राजनयिक पहुंच ( Counselor Access ) दे सकता है। अब देखना होगा कि क्या इसबार भी पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज आता है या कोई ड्रामा करता है।