गत रविवार को हुआ यह धमाका बलूचिस्तान में सुरक्षा बलों के चेक पोस्ट पर हुआ था। यह मुस्तांग रोड पर स्थित पोस्ट है। पाकिस्तान ने प्राथमिक जांच पूरी करने के बाद अब दावा किया है कि यह आत्मघाती हमला करने के लिए हमलावर अफगानिस्तान से आए थे।
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वहीं, पाकिस्तानी गृह मंत्री शेख रशीद ने भी कहा कि क्वेटा और ग्वादर में हुए धमाकों में शामिल आतंकी अफगानिस्तान से आए थे। क्वेटा में रविवार को हुए धमाके की जिम्मेदारी तहरीक-ए-तालीबान यानी टीटीपी ने ली थी। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने सैनिकों की चेक पोस्ट पर हुए इस हमले की निंदा की थी।
वहीं, अफगानिस्तान में अस्थिरता फैलाने और तालिबान का राज आने के बाद से पाकिस्तान भले ही खुशियां मना रहा है, लेकिन यह तय है कि देर से ही सही, मगर इसका नकारात्मक प्रभाव पाकिस्तान के लोगों को भी झेलना होगा। खासतौर पर बलूचिस्तान में आतंकी हमला होना पाकिस्तान की चिंता को अभी से बढ़ा सकता है।
पाकिस्तान ने तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के आकाओं से कई बार कहा कि वह तहरीक-ए-तालीबान पर लगाम कसे, मगर खुद तालिबान जब काबुल की सत्ता पर काबिज हुआ था, उसके कुछ घंटों बाद ही तहरीक-ए-तालीबान के आतंकी मुहम्मद रफीक को उसने जेल से रिहा कर दिया था। इसके बाद से ही माना जा रहा था कि पाकिस्तान की मुश्किलें बढऩे वाली हैं।
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दूसरी ओर, अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान के काबिज हुए करीब तीन हफ्ते का समय बीत चुका है, लेकिन अभी तक वहां सरकार गठन को लेकर तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के बीच विवाद जारी है। खुद तालिबान में भी वर्चस्व की जंग हो रही है कि सरकार में सुप्रीमों की भूमिका किसकी होगी। वहीं, खबर यह है कि पाकिस्तान की मदद से ही एक छोटे-मोटे या यूं कह लें, जिसे दुनिया नहीं जानती, ऐसे में तालिबानी नेता मुल्ला हसन, अखुंद को राष्ट्रपति पद पर बैठाया जाएगा।, जिससे संगठन के दोनों धड़ों मे हो रही उठापटक पर विराम लगाया जा सके।