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Pakistan: 2025 में पाकिस्तान के लिए खड़ी हो रही ये चुनौतियां, कैसे निपटेगा ये मुल्क 

Pakistan: भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान एक साथ कई मोर्चों पर खुद से ही लड़ाई लड़ रहा है लेकिन कहीं से भी उसे जीत मिलती नहीं दिखाई दे रही है। 2025 में अब नई चुनौती उसकी विदेश नीति को लेकर सामने आई है।

नई दिल्लीJan 08, 2025 / 02:40 pm

Jyoti Sharma

Pakistan may Face Foreign Policy Issue from Donald Trump Functioning in USA in 2025

Pakistan India Relationship

Pakistan: पाकिस्तान में 2024 में काफी उथल-पुथल मची, फरवरी में हुआ आम चुनाव काफी विवादों में रहा, इमरान खान को जेल से निकालने के लिए पाकिस्तान के इस्लामाबाद में भारी बवाल हुआ। इमरान खान (Imran Khan) ने अमेरिका समेत कई बड़े देशों से पाकिस्तान के चुनाव की जांच की मांग की। इमरान खान की लाख कोशिशों के बाद भी कुछ ज्यादा खास हुआ नहीं। विदेशों ने इस पर ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई, इसका कारण पाकिस्तानी की लचर विदेश नीति को भी माना गया था। इमरान खान शहबाज़ शरीफ (Shehbaz Sharif) की विदेश नीति पर भी सवाल उठा चुके हैं, वहीं अब विश्लेषकों ने साल 2025 में पाकिस्तान तके लिए कई बड़ी चुनौतियां आने का अंदाजा लगा रहे हैं। उनका कहना है कि ट्रंप की वजह से पाकिस्तान (Pakistan in 2025) का ये साल काफी कठिन होने वाला है। 
एक अंतर्राष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान को दुनिया भर में उसके सहयोगियों और विरोधियों के साथ-साथ संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ भी संबंधों को संभालना होगा। पाकिस्तान की ज्यादातर विदेश नीति और उसके पड़ोस पर प्रभाव डालती हैं, खासतौर पर भारत और अफगानिस्तान से। इस लिस्ट में पाकिस्तान का दोस्त चीन भी शामिल है। 

चीन से मिलेगी चुनौती

रिपोर्ट ने सुरक्षा और विदेश नीति विशेषज्ञों का हवाला देते हुए कहा है कि पाकिस्तान अक्सर चीन के साथ अपनी समुद्र से भी गहरी और पहाड़ों से भी ऊंची दोस्ती का बखान करता रहता है लेकिन ये भी अब किसी से छिपा नहीं हे कि 2024 में ही इस रिश्ते में बड़ी दरार आ गई थी। पाकिस्तान में पिछले साल चीनी नागरिक और अधिकारी आतंकवादियों के निशाने पर रहे। इसमें कम से कम 7 चीनी नागरिकों और अधिकारियों की आतंकवादी हमले में जान चली गई। इसे लेकर चीन ने पाकिस्तान को कड़ी फटकार भी लगाई था। 
चीन पर विदेश नीति विशेषज्ञ मुहम्मद फैसल ने चेतावनी दी है कि अब CPEC परियोजना के आगे बढ़ने पर भी तलवार लटक गई है। क्योंकि पाकिस्तान ने परमाणु हमला की जवाबी कार्रवाई की क्षमता के बदले ग्वादर बंदरगाह देने की शर्त रखी है। ऐसे में चीन पाकिस्तान को वित्तीय सहायता देना तो जारी रखेगा, लेकिन इस प्रोजेक्ट के आगे बढ़ने की संभावना नहीं है। 

अफगानिस्तान

अपने देश में पाले गए आतंकियों से अफगानिस्तान को चलाने वाले पाकिस्तान अब यही आतंकी रुला रहे हैं। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान यानी TTP एक बड़ी चुनौती बनकर पाकिस्तान के सामने खड़ा हो गया है। TTP के लड़ाकों को जड़ से खत्म करने के लिए पाकिस्तान ने बीते दिनों अफगानिस्तान पर एयरस्ट्राइक कर दी थी, जिसके बाद तिलमिलाए तालिबान ने पाकिस्तानी सेना पर धावा बोल दिया और कई सैनिकों की हत्या कर दी थी। 
दरअसल पाकिस्तान में आतंकी संगठनों के कई हमलों ने CPEC कर्मियों को निशाना बनाया है। जो 62 मिलियन डॉलर की एक बहुप्रतीक्षित परियोजना है। ऐसे में 2025 में एक नई चुनौती अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार से निपटने की भी होगी। 

अमेरिका

अमेरिका के साथ पाकिस्तान के संबंध इस बात पर आधारित रहे हैं कि किस तरह पाकिस्तान ने क्षेत्र में अमेरिकी नीतियों में सहायता की, मुख्य तौर पर अफगानिस्तान में।

लेकिन तालिबान के शासन में आने के बाद पाकिस्तान-अमेरिका की रणनीतिक साझेदारी कम हो गई है। एक तरफ अमेरिका अब अफ़गानिस्तान में कम निवेश कर रहा है तो वहीं धीरे-धीरे अब पाकिस्तान अमेरिको को छोड़कर आर्थिक, सैन्य और तकनीकी ज़रूरतों के लिए चीन की ओर बढ़ रहा है।
रिपोर्ट में वाशिंगटन डीसी में नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर हसन अब्बास के हवाले से कहा गया है कि चीन और भारत के साथ तनाव के बीच पाकिस्तान को अमेरिका के साथ अपने संबंधों को बेहद सावधानी से संभालना चाहिए। पाकिस्तान में वैसे भी अब अमेरिका कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है। एक तो भारत के साथ अमेरिका के संबंधों की प्रतिबद्धता इसे रोकती और दूसरी तरफ खुद अमेरिका के सामने रूस-यूक्रेन युद्ध और मिडिल ईस्ट के कई संघर्षों जैसे ज्यादा अहम मुद्दे हैं। 
लेकिन अमेरिका में अब डोनाल्ड ट्रंप की सरकार बनने वाली है। ट्रंप के अग्रेसिव रुख के आगे पाकिस्तान की हीला-हवाली वाली नीति कितनी काम करती है ये देखना 2025 में काफी दिलचस्प होने वाला है। वैसे अमेरिका में पाकिस्तान के बारे में ये धारणा है कि पाकिस्तान एक कमज़ोर, अव्यवस्थित देश है जिसे किसी भी चीज़ से पहले अपने काम को समझने की ज़रूरत है।

भारत 

भारत के साथ पाकिस्तान के संबंध जगजाहिर हैं। विदेश नीति में पाकिस्तान के लिए सबसे पहला मुद्दा भारत का आता है। भारत के उसके पड़ोसी देश पाकिस्तान से संबंध इस वक्त के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं। कश्मीर को लेकर अभी तक पाकिस्तान का रोना बंद नहीं है। ऐसे में भारत ने भी पाकिस्तान से बातचीत बंद कर दी है। हाल के सालों में भारत अमेरिका के बेहद करीब आया है। इसके साथ ही पाकिस्तान अमेरिका से उतना ही दूर हुआ है। कई विश्लेषक अमेरिका से पाकिस्तान की दूरी का कारण भारत को ही मानते हैं। 
भारत में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत अब्दुल बासित ने रिपोर्ट के हवाले से कहा है कि कश्मीर मुद्दा, भारत और पाकिस्तान में एक गतिरोध है। ऐसे में कश्मीर को छोड़कर कैसे पाकिस्तान भारत के साथ अपने संबंधों को आगे बढ़ाता है, और वो ऐसा करता है या नहीं, इस पर इस पूरे साल नजर बनी रहेगी। 

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