शेखर सुमन का कमेंट
शेखर सुमने ने अपनी वेब सीरीज के बारे में बात करते हुए तवायफ और यौन कर्मियों के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा-“ये समाज ही है जिसने उन्हें इस तरह बना दिया। सीरीज में कई बार कहा गया है कि कोई भी औरत अपनी मर्जी से तवायफ नहीं बनती। हालात किसी औरत को जिस्मफरोशी के धंधे में जाने के लिए मजबूर करते हैं। इन सारी चीजों के बावजूद उनका समाज में योगदान बहुत अहम है।”Amitabh Bachchan के नाती SRK की बेटी के साथ कर रहे थे पार्टी, वायरल वीडियो देख लोग बोले-अब कर लो शादी
हीरामंडी जाते थे बच्चे
यही नहीं उन्होंने ये भी कहा कि पुराने जमाने में लोगों को ‘हीरामंडी’ (Heeramandi) भेजा जाता था, जो एक ‘फिनिशिंग स्कूल’ की तरह था। वहां लोग शिष्टाचार, प्रेम-प्रसंग की कला, कविता, संगीत और नृत्य” सीखते थे। नवाब और दूसरे बच्चे वहां भेजे जाते थे तहजीब और तमीज सीखने को।
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एक्टर ने कहा कि देश की आजादी में तवायफों के योगदान को लोगों ने भुला दिया। वो आजादी की गुमनाम सिपाही थीं, जिसके बारे में हमारी सीरीज में दिखाया गया है।