scriptpodcast शरीर ही ब्रह्माण्ड: विवाह-विच्छेद प्राणों का नहीं होता | The body is the universe: Divorce does not happen to the soul | Patrika News
ओपिनियन

podcast शरीर ही ब्रह्माण्ड: विवाह-विच्छेद प्राणों का नहीं होता

आत्मा सबसे शक्तिशाली पदार्थ है। इसके केन्द्र में ब्रह्म बैठा है। सही बात यह है कि सूक्ष्म शरीर षोडशी आत्मा का आश्रय है। शरीर में ही सूक्ष्म और कारण शरीर रहते है। दोनों की अभिव्यक्ति स्थूल शरीर ही है। प्राण रूप सूक्ष्म शरीर सभी गतिविधियों का संचालन करता है। कारण शरीर या अव्यय पुरुष में सप्तऋषि प्राण रहते हैं। इनसे ही पितर प्राण बनते हैं।

जयपुरNov 08, 2024 / 09:17 pm

Gyan Chand Patni

Gulab Kothari Article शरीर ही ब्रह्माण्ड: “शरीर स्वयं में ब्रह्माण्ड है। वही ढांचा, वही सब नियम कायदे। जिस प्रकार पंच महाभूतों से, अधिदैव और अध्यात्म से ब्रह्माण्ड बनता है, वही स्वरूप हमारे शरीर का है। भीतर के बड़े आकाश में भिन्न-भिन्न पिण्ड तो हैं ही, अनन्तानन्त कोशिकाएं भी हैं। इन्हीं सूक्ष्म आत्माओं से निर्मित हमारा शरीर है जो बाहर से ठोस दिखाई पड़ता है। भीतर कोशिकाओं का मधुमक्खियों के छत्ते की तरह निर्मित संघटक स्वरूप है। ये कोशिकाएं सभी स्वतंत्र आत्माएं होती हैं।”
पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी की बहुचर्चित आलेखमाला है – शरीर ही ब्रह्माण्ड। इसमें विभिन्न बिंदुओं/विषयों की आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से व्याख्या प्रस्तुत की जाती है। गुलाब कोठारी को वैदिक अध्ययन में उनके योगदान के लिए जाना जाता है। उन्हें 2002 में नीदरलैन्ड के इन्टर्कल्चर विश्वविद्यालय ने फिलोसोफी में डी.लिट की उपाधि से सम्मानित किया था। उन्हें 2011 में उनकी पुस्तक मैं ही राधा, मैं ही कृष्ण के लिए मूर्ति देवी पुरस्कार और वर्ष 2009 में राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मान से सम्मानित किया गया था। ‘शरीर ही ब्रह्माण्ड’ शृंखला में प्रकाशित विशेष लेख पढ़ने के लिए क्लिक करें नीचे दिए लिंक्स पर

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