इस बात को समझना होगा कि संस्कृत रोजगार पैदा करने और राजस्व अर्जित करने का भी महत्त्वपूर्ण माध्यम बन सकती है, किन्तु इसके लिए दीर्घकालीन निवेश करना होगा। संस्कृत ग्रंथों से निकले आयुर्वेद, योग, वास्तु तथा ज्योतिष जैसे चंद विषय आज रोजगार और आय का बहुत बड़ा स्रोत बन गए हैं तथा लोकप्रिय भी हंै। बाबा राम देव ने आयुर्वेद और योग से दस हजार करोड़ रुपए का कारोबार खड़ा कर लिया है। संस्कृत में ऐसे अनेक विषय हंै, जिनके शोध पर निवेश करके रोजगार सृजन के साथ-साथ राजस्व भी अर्जित किया जा सकता है। इसके लिए पहली शर्त है- संस्कृत के प्रति सकारात्मक सोच। चूंकि संस्कृत के ग्रंथों में मानव मात्र के कल्याण के लिए उपाय बताए गए हैं। इसलिए इनमें निहित ज्ञान की सार्वभौमिक स्वीकार्यता है। इस ज्ञान को देश के लोगों के लिए साधारण भाषा में तथा पश्चिम के लिए अंग्रेजी में प्रस्तुत कर पैसा भी कमाया जा सकता है और मानव मात्र का भला भी किया जा सकता है।
20 दिन में सीखना चाहते हैं संस्कृत तो इस नंबर पर दें Missed Call
संस्कृत में निहित विविध विषयों के ज्ञान का अंग्रेजी भाषा में अनुवाद करके इसे राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय प्रकाशकों के माध्यम से विश्व की शिक्षण संस्थाओं तक पहुंचाया जा सकता है। देश के प्रत्येक संस्कृत विश्वविद्यालय, संस्थान और पीठ में अनुवाद प्रकोष्ठ स्थापित करके प्राचीन ग्रंथों के अंग्रेजी अनुवाद का कार्य मिशन के तौर पर किया जाना चाहिए। परम्परागत विद्वानों के पास रखे दुर्लभ ग्रंथों को बाहर निकलवाने के लिए प्रोत्साहन योजना शुरू की जा सकती है। इन ग्रंथों को डिजिटल रूप में संधारित करने की महती आवश्यकता है।
संस्कृत की विद्वान बहनें, हुनर ऐसा कि सुनते रह जाते हैं बड़े बड़े ज्ञानी – देखें वीडियो
इजरायल ने अपनी प्राचीन भाषा हिब्रू को पुनर्जीवित किया और उसे जनवाणी बना दिया। ऐसा वहां की सरकार और लोगों के संकल्प के कारण संभव हुआ। इजरायली घास का अध्ययन करने के लिए तो हमारे नीति-निर्माता और नौकरशाह इजरायल का दौरा करने के लिए तत्पर रहते हंै, किन्तु हिब्रू की तरह संस्कृत को पुनर्जीवित करने के लिए इजरायल का दौरा करने की उनकी न तो नीयत दिखाई देती है और ना ही नीति। इसलिए संस्कृत अनुरागियों को ही पूर्ण संकल्प के साथ आगे आना होगा।