Gulab Kothari Article Sharir Hi Brahmand: ब्रह्म ही अन्न-अन्न ही सृष्टि परमपिता ने ज्ञान और तप के प्रभाव से सात प्रकार के अन्नों का सृजन किया। एक प्रकार का अन्न तो सभी के लिए, दो प्रकार का देवताओं के लिए, तीन प्रकार का अन्न स्वयं के लिए, एक प्रकार का अन्न पशुओं के लिए सृजित किया। इन अन्नों का सदैव भक्षण किया जाता है, फिर भी ये समाप्त नहीं होते। यही अमृत भाव है। शरीर ही ब्रह्माण्ड शृंखला में सुनें पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी का यह विशेष लेख- ब्रह्म ही अन्न-अन्न ही सृष्टि
जयपुर•Sep 27, 2024 / 09:31 pm•
Gyan Chand Patni
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