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Patrika Opinion: विमानों में धमकी पर अब कड़े प्रावधानों की दरकार

मौजूदा परिप्रेक्ष्य में विमान सेवाओं की सुरक्षा के लिए ज्यादा ठोस और कारगर रणनीति की दरकार है। विमान अधिनियम 1934 की समीक्षा कर इसमें धमकी देने वालों से सख्ती से निपटने के प्रावधान जोड़े जाने चाहिए। हैरानी की बात है कि नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो ने इसी साल जुलाई में ऐसे प्रावधान जोडऩे की सिफारिश की थी, पर उसी समय तत्काल कदम उठाने की जरूरत नहीं समझी गई।

जयपुरOct 20, 2024 / 08:49 pm

Nitin Kumar

सबसे सुरक्षित और सुगम मानी जाने वाली विमान सेवाओं को लेकर इन दिनों भारत में चिंताएं बढ़ी हुई हैं। पिछले एक हफ्ते में करीब 70 घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में बम की धमकी को लेकर सुरक्षा एजेंसियां और विमान कंपनियां अलर्ट मोड में हैं। त्योहारी सीजन के कारण सभी उड़ानें पूरी यात्री क्षमता के साथ उड़ रही हैं। हालांकि सभी धमकियां अफवाह साबित हुईं, लेकिन इनसे एक बार फिर इस बात का पता चलता है कि सोशल मीडिया पोस्ट या ई-मेल से खुलेआम धमकी देना कितना आसान हो गया है। किसी अनहोनी के बगैर ही यात्रियों, हवाई अड्डों, विमान कंपनियों और सुरक्षा एजेंसियों को परेशानी से गुजरना पड़ता है। सबसे बड़ी चिंता यह है कि धमकी देने वाले पकड़े नहीं जाते। देश में 1999 में आखिरी विमान अपहरण कांड के बाद हवाई यात्रा की सुरक्षा के लिए जिस तरह के कड़े कदम उठाए गए थे, फर्जी धमकियों से निपटने के लिए उसी तरह का कारगर तंत्र विकसित करना जरूरी हो गया है।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय धमकी की घटनाओं पर लगाम के लिए नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस) की सिफारिशों पर विचार कर रहा है। एक सिफारिश यह है कि धमकी देने वालों को पांच साल के लिए हवाई यात्रा से प्रतिबंधित किया जाए। सिर्फ इस कदम से अफवाह फैलाने वालों को कड़ा संदेश नहीं मिलेगा। फिलहाल यह भी स्पष्ट नहीं है कि धमकी देने वाले हवाई यात्रा करते भी हैं या नहीं। विमान अधिनियम 1934 के तहत फिलहाल उन्हीं लोगों पर हवाई यात्रा का प्रतिबंध लगाया जाता है, जो विमान में सफर के दौरान या चढ़ते-उतरते समय उपद्रव मचाते हैं। यह प्रतिबंध कितने दिन का होगा, एयरलाइन तय करती है। मौजूदा परिप्रेक्ष्य में विमान सेवाओं की सुरक्षा के लिए ज्यादा ठोस और कारगर रणनीति की दरकार है। विमान अधिनियम 1934 की समीक्षा कर इसमें धमकी देने वालों से सख्ती से निपटने के प्रावधान जोड़े जाने चाहिए। हैरानी की बात है कि नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो ने इसी साल जुलाई में ऐसे प्रावधान जोडऩे की सिफारिश की थी, पर उसी समय तत्काल कदम उठाने की जरूरत नहीं समझी गई।
ब्यूरो यह भी कह चुका है कि फर्जी कॉल, सोशल मीडिया पोस्ट या ई-मेल के जरिए धमकी देने वालों को सबक सिखाने के लिए भारतीय दंड संहिता के प्रावधान ज्यादा प्रभावी नहीं हैं। विमान सेवाओं में प्रोटोकॉल के पालन पर जितना ध्यान दिया जाता है, उतनी ही सतर्कता धमकी देने वालों से निपटने के लिए जरूरी है। सजा इतनी कड़ी होनी चाहिए कि समाजकंटक सपने में भी धमकी देने के बारे में न सोचें।

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