नागरिक उड्डयन मंत्रालय धमकी की घटनाओं पर लगाम के लिए नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस) की सिफारिशों पर विचार कर रहा है। एक सिफारिश यह है कि धमकी देने वालों को पांच साल के लिए हवाई यात्रा से प्रतिबंधित किया जाए। सिर्फ इस कदम से अफवाह फैलाने वालों को कड़ा संदेश नहीं मिलेगा। फिलहाल यह भी स्पष्ट नहीं है कि धमकी देने वाले हवाई यात्रा करते भी हैं या नहीं। विमान अधिनियम 1934 के तहत फिलहाल उन्हीं लोगों पर हवाई यात्रा का प्रतिबंध लगाया जाता है, जो विमान में सफर के दौरान या चढ़ते-उतरते समय उपद्रव मचाते हैं। यह प्रतिबंध कितने दिन का होगा, एयरलाइन तय करती है। मौजूदा परिप्रेक्ष्य में विमान सेवाओं की सुरक्षा के लिए ज्यादा ठोस और कारगर रणनीति की दरकार है। विमान अधिनियम 1934 की समीक्षा कर इसमें धमकी देने वालों से सख्ती से निपटने के प्रावधान जोड़े जाने चाहिए। हैरानी की बात है कि नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो ने इसी साल जुलाई में ऐसे प्रावधान जोडऩे की सिफारिश की थी, पर उसी समय तत्काल कदम उठाने की जरूरत नहीं समझी गई।
ब्यूरो यह भी कह चुका है कि फर्जी कॉल, सोशल मीडिया पोस्ट या ई-मेल के जरिए धमकी देने वालों को सबक सिखाने के लिए भारतीय दंड संहिता के प्रावधान ज्यादा प्रभावी नहीं हैं। विमान सेवाओं में प्रोटोकॉल के पालन पर जितना ध्यान दिया जाता है, उतनी ही सतर्कता धमकी देने वालों से निपटने के लिए जरूरी है। सजा इतनी कड़ी होनी चाहिए कि समाजकंटक सपने में भी धमकी देने के बारे में न सोचें।