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प्रदूषण नियंत्रण के लिए जरूरी है जीवनशैली में बदलाव

हमें अपने पर्यावरण को स्वच्छ और सुरक्षित रखने के लिए हरसंभव प्रयास करना चाहिए, ताकि भविष्य की पीढिय़ों को एक स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण मिल सके। सरकार और समाज दोनों को मिलकर इस चुनौती से निपटने के लिए सार्थक कदम उठाने होंगे। वायु प्रदूषण से निपटने के लिए केवल कानून और तकनीकी उपाय ही पर्याप्त नहीं होंगे, बल्कि लोगों की मानसिकता और जीवनशैली में भी बदलाव आवश्यक है।

जयपुरOct 22, 2024 / 09:45 pm

Gyan Chand Patni

डॉ. रिपुन्जय सिंह
सदस्य, राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड
वायु प्रदूषण एक गंभीर पर्यावरणीय समस्या है। यह मानव जीवन, पर्यावरण और पृथ्वी के प्राकृतिक संतुलन पर व्यापक प्रभाव डालती है। वायु में हानिकारक गैसों, धूल, धुआं और रासायनिक कणों का अधिकतम मिश्रण होने के कारण वायु प्रदूषण उत्पन्न होता है। यह प्रदूषण मुख्यत: औद्योगिक गतिविधियों, परिवहन साधनों, कृषि कार्यों के साथ प्राकृतिक घटनाओं के कारण भी होता है। इसने न केवल शहरी क्षेत्रों बल्कि ग्रामीण इलाकों को भी प्रभावित किया है, जिससे जनजीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। प्रदूषण के कारण भारतीय शहरों में जीवन की गुणवत्ता घट रही है। लोग अपने घरों में बंद रहने के लिए मजबूर होते हैं, जिससे सामाजिक जीवन प्रभावित हो रहा है। त्योहारों और अन्य सामाजिक गतिविधियों पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव देखा जा सकता है, क्योंकि प्रदूषण के उच्च स्तर के कारण कई गतिविधियां रोकनी पड़ती हैं।
सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देकर और इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को प्रोत्साहित करके प्रदूषण के स्तर को कम किया जा सकता है। इसके अलावा, नियमित रूप से वाहनों की जांच और रखरखाव भी जरूरी है ताकि उनसे निकलने वाले प्रदूषक तत्वों की मात्रा को नियंत्रित किया जा सके। कारखानों और उद्योगों में फिल्टर जैसे उपकरणों का उपयोग करके कार्बन उत्सर्जन को कम किया जा सकता है। इसके अलावा, सरकार द्वारा सख्त नियम और कानून बनाए जाने चाहिए ताकि औद्योगिक प्रदूषण को रोका जा सके। वृक्षारोपण और वनों का संरक्षण करके वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा को नियंत्रित किया जा सकता है। पेड़-पौधे न केवल ऑक्सीजन का उत्पादन करते हैं, बल्कि प्रदूषक तत्वों को भी अवशोषित करते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में लकड़ी और कोयले के बजाय स्वच्छ ईंधन, जैसे कि एलपीजी और बायोगैस, का उपयोग किया जाना चाहिए। इससे घरों में उत्पन्न होने वाले वायु प्रदूषण को कम किया जा सकता है।
वायु प्रदूषण से बचाव के लिए लोगों को जागरूक करना बेहद जरूरी है। स्कूलों, कॉलेजों और समाज में जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन करके लोगों को वायु प्रदूषण के खतरों और इससे बचने के उपायों के बारे में जानकारी दी जा सकती है। भारतीय शहरों में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने कुछ कदम जरूर उठाए हैं। औद्योगिक क्षेत्रों में प्रदूषण नियंत्रण के लिए नियम बनाए गए हैं। इसके तहत कारखानों को प्रदूषक तत्वों के उत्सर्जन पर नजर रखने और उसे नियंत्रित करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा, वाहनों के लिए उत्सर्जन मानकों में भी सुधार किया गया है। वायु प्रदूषण को कम करने के लिए स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों, जैसे सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और जलविद्युत का उपयोग बढ़ाया जा रहा है। लोगों को वायु प्रदूषण के प्रति जागरूक करने के लिए कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। शहरों में हरित क्षेत्रों के विकास पर जोर दिया है। इसके बावजूद ये प्रयास नाकाफी ही साबित हुए हैं। वायु प्रदूषण को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह न केवल मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि पूरी पृथ्वी के पारिस्थितिकीय संतुलन को भी बिगाड़ रहा है। अत:, वायु प्रदूषण को रोकने के लिए हमें व्यक्तिगत और सामूहिक प्रयास करने की आवश्यकता है।
यदि समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए, तो इसके परिणाम और भी भयावह हो सकते हैं। इसलिए, हमें अपने पर्यावरण को स्वच्छ और सुरक्षित रखने के लिए हरसंभव प्रयास करना चाहिए, ताकि भविष्य की पीढिय़ों को एक स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण मिल सके। सरकार और समाज दोनों को मिलकर इस चुनौती से निपटने के लिए सार्थक कदम उठाने होंगे। वायु प्रदूषण से निपटने के लिए केवल कानून और तकनीकी उपाय ही पर्याप्त नहीं होंगे, बल्कि लोगों की मानसिकता और जीवनशैली में भी बदलाव आवश्यक है।

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