शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में शामिल होने इस्लामाबाद गए भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पाकिस्तान की दुखती रग दबाते हुए साफ कर दिया कि सीमा पार आतंक और व्यापार साथ-साथ नहीं चल सकते। आपसी भरोसा, क्षेत्रीय सम्प्रभुता और सम्मान की भावना के बगैर रिश्ते नहीं सुधारे जा सकते। पाकिस्तान यदि पुराने तेवर में होता तो एससीओ बैठक का इस्तेमाल भी कश्मीर मुद्दा उठाने और भारत को घेरने के लिए करता। पर इस बार ऐसा कुछ नहीं हुआ। उम्मीद के विपरीत, पाकिस्तान ने शंघाई सहयोग संगठन के बहाने भारत से रिश्ते सुधारने की दिशा में एक खिडक़ी खोलने की कोशिश की है। अप्रत्याशित रूप से पाकिस्तान के उप-प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री मोहम्मद इशाक डार ने 24 घंटे के भीतर जयशंकर से दो बार बात की। इस्लामाबाद से लौटते समय जयशंकर ने भी पाकिस्तान और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के ‘आतिथ्य और शिष्टाचार’ का शुक्रिया अदा किया।
भारतीय विदेश मंत्री की नौ साल बाद हुई पाकिस्तान यात्रा वैसे तो बहुराष्ट्रीय सम्मेलन की वजह से थी लेकिन जयशंकर और डार के जगजाहिर क्रिकेट प्रेम की वजह से पाकिस्तान को संबंधों पर जमी बर्फ पिघलाने का मौका मिल गया। रात्रिभोज में गृहमंत्री और पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष सैयद मोहसिन रजा नकवी के भी शामिल होने से समझा जा रहा है कि भारतीय क्रिकेट टीम के पाकिस्तान जाने का मार्ग खोलने की दिशा में पहल करने पर भी चर्चा हुई है। फरवरी-मार्च में पाकिस्तान चैम्पियंस ट्रॉफी का आयोजन कर रहा है। यह खेल रिश्ते सुधारने वाली खिडक़ी बन सकता है। हालांकि यह खिडक़ी तभी खुलेगी जब पाकिस्तान उन प्यादों पर लगाम लगाने में सफल होगा जो कथित तौर पर ‘नॉन-स्टेट एक्टर’ के रूप में भारत की जमीन पर काली करतूतों को अंजाम देने से बाज नहीं आते।