महाभारत की महिला पात्रों से सीखें लीडरशिप
प्रो. हिमांशु राय निदेशक, आइआइएम इंदौरमहाभारत अपनी शक्तिशाली कहानी और शिक्षाओं के लिए प्रसिद्ध है। इसके पुरुष पात्र अक्सर केंद्र में होते हैं, किंतु इसकी सभी महिला पात्र भी उतनी ही महत्त्वपूर्ण हैं। द्रौपदी, कुंती और गांधारी जैसी महिलाएं शक्ति, अनुकूलनशीलता और रणनीतिक कौशल का प्रतीक हैं, जो आधुनिक लीडर्स और प्रबंधकों को शिक्षाएं प्रदान […]
प्रो. हिमांशु राय निदेशक, आइआइएम इंदौर
महाभारत अपनी शक्तिशाली कहानी और शिक्षाओं के लिए प्रसिद्ध है। इसके पुरुष पात्र अक्सर केंद्र में होते हैं, किंतु इसकी सभी महिला पात्र भी उतनी ही महत्त्वपूर्ण हैं। द्रौपदी, कुंती और गांधारी जैसी महिलाएं शक्ति, अनुकूलनशीलता और रणनीतिक कौशल का प्रतीक हैं, जो आधुनिक लीडर्स और प्रबंधकों को शिक्षाएं प्रदान करती हैं। जानते हैं इन्हीं महिला पात्रों से मिलने वाली सीखें :
शांत रणनीतिकार कुंती: राजनीतिक संघर्ष में उलझे एक राजसी परिवार में विवाहित, कुंती को पांडु के असामयिक निधन के बाद एक अकेली मां की भूमिका निभानी पड़ती है। चुनौतियों के बावजूद वे अपने बेटों- पांडवों का धर्म (कर्तव्य) और एकता की भावना के साथ लालन-पोषण करती है और सुनिश्चित करती है कि वे सभी अपने लक्ष्य पर केंद्रित रहें। संकटों को शालीनता और दीर्घकालिक दृष्टि से पार करने की कुंती की क्षमता एक आवश्यक नेतृत्व गुण है। लीडर्स को अक्सर अनिश्चितताओं का सामना करना पड़ता है और कुंती की कहानी सामूहिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए रणनीतिक सोच और संबंधों को पोषित करने के महत्त्व को रेखांकित करती है। प्रतिकूल परिस्थितियों के दौरान उनका धैर्य मुझे दृढ़ रहने, तत्काल चुनौतियों का समाधान करते हुए बड़े सकारात्मक लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित करता है।
साहसी कूटनीतिज्ञ द्रौपदी: द्रौपदी महाभारत के सबसे अद्भुत पात्रों में से एक है। उनकी बुद्धिमत्ता, दृढ़ता और न्याय की अटूट भावना उन्हें एक दुर्जेय लीडर बनाती है। कौरव दरबार में उनके अपमान के बाद पांडवों को प्रेरित करने में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका है, जो उनके व्यक्तिगत प्रतिशोध को धर्म के लिए एक युद्ध में बदल देती है। द्रौपदी की व्यक्तिगत पीड़ा को एक बड़े उद्देश्य में बदलने की क्षमता एक शक्तिशाली नेतृत्व गुण है। वह हमें सिखाती है कि महान लीडर सिर्फ अपने लक्ष्यों से प्रेरित नहीं होते, बल्कि एक न्यायपूर्ण और समतापूर्ण दुनिया बनाने की आकांक्षा से प्रेरित होते हैं।
स्थिर मातृसत्ता गांधारी : हस्तिनापुर की रानी गांधारी त्याग और निष्ठा की मिसाल है। दृष्टिहीन पति धृतराष्ट्र के साथ अपनी भी आंखों पर पट्टी बांधने का उनका निर्णय प्रतिबद्धता का प्रतीक है। फिर भी, दुर्योधन के कुकर्मों के सामने उनकी चुप्पी निष्ठा और नैतिक जिम्मेदारी के बीच संतुलन के बारे में सवाल उठाती है। गांधारी की कहानी प्रेरणा और चेतावनी दोनों का काम करती है। लीडर्स को असहज सच्चाइयों का सामना करने और मुश्किल स्थितियों में अपना पक्ष रखने के लिए तैयार रहना चाहिए।
बुद्धिमान सलाहकार सत्यवती: कुरु वंश की कुलमाता सत्यवती, घटनाओं को आकार देने में महत्त्वपूर्ण रही हैं। वंश और शक्ति को बनाए रखने की चुनौतियों के बावजूद, उनकी चतुराई और दृढ़ संकल्प ने हस्तिनापुर के भविष्य की नींव रखी। अपने वंश की भलाई के लिए कठिन विकल्प चुनने की उनकी क्षमता नेतृत्व में दूरदर्शिता और बातचीत की महत्त्वपूर्ण भूमिका को दर्शाती है।
मौन बलिदानी माद्री : पांडु की दूसरी पत्नी माद्री बलिदान में निहित नेतृत्व का एक शांत रूप प्रदर्शित करती है। अपने परिवार की भलाई के लिए अपनी व्यक्तिगत इच्छाओं को त्यागने के निर्णय से वे खुद से पहले दूसरों की सेवा करने के नेतृत्व के मूल को दर्शाती हैं। माद्री की कहानी सेवक नेतृत्व की शक्ति पर जोर देती है। सच्चे लीडर व्यक्तिगत लाभ से ज्यादा अपनी टीम की जरूरतों और बड़े लक्ष्यों को प्राथमिकता देते हैं।
महाभारत की सभी महिला पात्र बताती हैं कि नेतृत्व केवल शक्ति की भूमिकाओं तक सीमित नहीं है, यह लचीलेपन, भावनात्मक बुद्धिमत्ता और नैतिक निर्णय लेने के माध्यम से प्रदर्शित होता है।
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