खतरों के बीच साइबर सुरक्षा हमारी साझा जिम्मेदारी
लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. एस.पी. कोचर, महानिदेशक, सेल्यूलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई)टेक्नोलॉजी ने समुदायों के विकास और उनमें परिवर्तन लाने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की है। आज हमारी जिंदगी का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा विभिन्न रूपों में टेक्नोलॉजी के साथ गुथा हुआ है, चाहे वह मोबाइल, टीवी, कैमरा, वाहन हों या फिर घरेलू वस्तुएं। पिछले […]
लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. एस.पी. कोचर, महानिदेशक, सेल्यूलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई)
टेक्नोलॉजी ने समुदायों के विकास और उनमें परिवर्तन लाने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की है। आज हमारी जिंदगी का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा विभिन्न रूपों में टेक्नोलॉजी के साथ गुथा हुआ है, चाहे वह मोबाइल, टीवी, कैमरा, वाहन हों या फिर घरेलू वस्तुएं। पिछले एक दशक में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ), मशीन लर्निंग (एमएल), ड्रोन्स, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, एज कंप्यूटिंग जैसी नई चीजों के रुख से डिजिटल टेक्नोलॉजी में उल्लेखनीय प्रगति हुई है और ये चीजें आम आदमी की रोजाना की बातचीत में चर्चा का केंद्र बन गई हैं। इसके उलट, इन टेक्नोलॉजी का प्रभाव हमारी कल्पना से परे चला गया है जिनमें से कई चीजों ने इस समाज के लिए साइबर सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है। कनेक्टेड डिवाइसेज के तेजी से बढऩे और डिजिटल टेक्नोलॉजी में तेज उन्नति से साइबर सुरक्षा की दुनिया अकल्पनीय स्तर पर उभर रही है। स्मार्टफोन और सोशल ऐप्स के व्यापक उपयोग से साइबर अपराध भी तेजी से बढ़े हैं। साथ ही डिजिटल भुगतान ऐप्स का उपयोग बढऩे से वित्तीय धोखाधडिय़ों में नए आयाम जुड़े हैं।
साइबर अपराधी लोगों को अपने जाल में फंसाने और कानून प्रवर्तन एजेंसियों से बचने के लिए अच्छी खासी टेक्नोलॉजीज का उपयोग करते हैं। आइडेंटिटी स्कैम और वित्तीय धोखाधड़ी नए स्तर पर पहुंच गई है जहां अपराधी स्वयं को कानून प्रवर्तन एजेंसियों के तौर पर पेश करके लोगों के साथ बड़े पैमाने पर वित्तीय धोखाधड़ी करते हैं। एज कंप्यूटिंग, ब्लॉकचेन, एआइ, डिजिटल टोकन और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) जैसी उभरती टेक्नोलॉजी ने इस उद्योग में क्रांति ला दी है। साथ ही इन्होंने नई साइबर सुरक्षा चुनौतियां भी पैदा की हैं। ऑटोनोमस व्हीकल्स और रिमोट हेल्थकेयर जैसे महत्त्वपूर्ण एप्लीकेशंस खोजने वाले एज कंप्यूटिंग में डेटा उल्लंघन की संभावना रहती है। इसलिए ऐसी प्रणालियों में अंतत: सुरक्षा सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण है। इसी प्रकार, रीयल टाइम डेटा पर निर्भर रहने वाला ब्लॉकचेन भी हैकरों के निशाने पर रह सकता है जिससे वित्तीय धोखाधड़ी का जोखिम बढ़ जाता है। साइबर अपराध परिदृश्य में विरोधात्मक एआइ और मशीन लर्निंग से युक्त ऑटोमेटेड बॉटनेट्स का इस्तेमाल कर शैतानी दिमाग वाले लोग अपना काम कर रहे हैं।
क्रिप्टोकरेंसी जैसे डिजिटल टोकन, हैकिंग, धोखाधड़ी और चोरी के लिए मुख्य रूप से निशाने पर रहते हैं। साइबर खतरों की बढ़ती आशंकाओं को देखते हुए दूरसंचार ऑपरेटर और अन्य भागीदार अपने नेटवर्कों की सुरक्षा और उपभोक्ताओं के डेटा की रक्षा के लिए सक्रियता के साथ मजबूत उपाय अपनाते रहे हैं। खतरों की पहचान और उन्हें कम करने के लिए एआई और मशीन लर्निंग (एमएल) जैसी टेक्नोलॉजीज का उपयोग, डेटा सुरक्षा के लिए एंड-टु-एंड कूटरचना को लागू करना और साइबर सुरक्षा मानकों के लिए विश्व की सर्वोत्तम व्यवस्थाओं को अपनाने जैसे प्रयास इसमें शामिल हैं। नियमित ऑडिट, रीयल टाइम निगरानी प्रणालियां और टीमों द्वारा घटना को लेकर त्वरित प्रतिक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि जोखिम को तुरंत पहचान कर उन पर कार्रवाई हो।
सरकार के साथ गठबंधन में दूरसंचार सेवा प्रदाता नेशनल साइबर सिक्युरिटी स्ट्रैटेजी जैसी पहल में एक सुरक्षित डिजिटल इकोसिस्टम भी तैयार किया जा रहा है और दूरसंचार विभाग एवं इंडियन कंप्यूटर इमर्जेंसी रिस्पांस टीम द्वारा स्थापित नियामकीय रूपरेखा का भी अनुपालन कर रहे हैं। सुरक्षित डिजिटल व्यवस्था के बारे में उपभोक्ताओं को शिक्षित करने के लिए जन जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं जिससे वे साइबर धोखाधड़ी से बच सकें। जैसा कि भारत 5जी और 6जी की तरफ बढ़ रहा है, डिजिटल आधारभूत ढांचे का बेहतर उपयोग करने में दूरसंचार सेवा प्रदाताओं की भूमिका राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण होगी। एआइ और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसी उभरती टेक्नोलॉजीज दूरसंचार नेटवर्क के काम के तरीके में बदलाव लाने को तैयार हैं और इनके द्वारा पूर्वानुमानित एनालिटिक्स, ऑटोमेटेड खतरे की पहचान और बढ़ी हुई डेटा प्रोसेसिंग क्षमताओं के लिए शक्तिशाली टूल्स की पेशकश की जाएगी।
एआइ की पूर्वानुमान की क्षमताओं से दूरसंचार कंपनियों को डेटा और उभरते रुखों के आधार पर खतरों को भांपने में मदद मिलेगी जिससे वे सुरक्षा में सेंध रोकने के लिए पहले से ही उपाय कर सकेंगी। एआइ प्रणालियों को देखने, एआइ तथ्यों का संदर्भ उपलब्ध कराने और महत्त्वपूर्ण निर्णयों खासकर जटिल खतरों के परिदृश्य में निर्णय करने के लिए कुशल साइबर सुरक्षा पेशेवरों की जरूरत है। अंतिम यूजर्स इन साइबर खतरों से रक्षा के लिहाज से पहली पंक्ति में हैं। फिशिंग, मालवेयर और सोशल इंजीनियरिंग दांव-पेंच जैसे आम खतरों के बारे में उन्हें जागरूक करना जरूरी है। नियमित कार्यशालाएं, ऑनलाइन कोर्स और सुरक्षा परामर्श इन यूजर्स को जानकारी से लैस और सतर्क बनाए रखते हैं।
संगठनों को सुरक्षा की एक संस्कृति का निर्माण करना चाहिए, जहां साइबर सुरक्षा को एक साझा जिम्मेदारी के तौर पर देखा जाए। संगठनों को जबरदस्त सुरक्षा उपाय करते हुए यूजर के अनुभव को प्राथमिकता देनी होगी। टेक्नोलॉजी के निरंतर आगे बढऩे के साथ साइबर सुरक्षा परिदृश्य अधिक जटिल और एक दूसरे से जुड़ा हुआ बन गया है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है जिसमें टेक्नोलॉजी, कार्यबल विकास, जागरूकता, नीति और गठबंधन समाहित हो। सतर्क और पहले से सक्रिय रहकर हम इस परिदृश्य में सफलतापूर्वक आगे निकल सकते हैं।
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