scriptपत्रिका में प्रकाशित अग्रलेख- जनता करे चिन्ता | patrika group editor in chief gulab kothari special article on 1st December 2024 janata kare chinta | Patrika News
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पत्रिका में प्रकाशित अग्रलेख- जनता करे चिन्ता

मेरे देश को नजर लग गई है अथवा प्रतिदिन लगाई जा रही है। लोग पेट भरने के नाम पर, सत्ता के अहंकार के नाम पर, अपने राक्षसी स्वभाव के प्रभाव में अथवा अपनी भावी पीढ़ियों को अपकीर्ति भोगने के लिए प्रतिदिन कर्म कर रहे हैं।

जयपुरDec 01, 2024 / 11:27 am

Gulab Kothari

गुलाब कोठारी
मेरे देश को नजर लग गई है अथवा प्रतिदिन लगाई जा रही है। लोग पेट भरने के नाम पर, सत्ता के अहंकार के नाम पर, अपने राक्षसी स्वभाव के प्रभाव में अथवा अपनी भावी पीढ़ियों को अपकीर्ति भोगने के लिए प्रतिदिन कर्म कर रहे हैं। देश हित को शत्रुओं के हाथों बेच रहे हैं। आज पूरा प्रदेश ही क्या, पूरा देश अपराधों की चपेट में रावण की लंका हो रहा है। एक पुराना शेर है-
बागबां ने आग दी जब आशियाने को मेरे,
जिनपे तकिया था वही पत्ते हवा देने लगे।।

जिनको जनप्रतिनिधि चुनकर भेजा, वे हमारे हितों के प्रति आंखें मूंद बैठ गए। रक्षक थे, भक्षक हो गए। नेता-अधिकारियों के व्यवहार या तो पोपाबाई के राज की याद दिलाने लगे या फिर कंस के राज की अभिव्यक्ति बनने लग गए। सरकार कुर्सी का प्रतिबिंब बन गई। होना विपरीत चाहिए था।
आप किसी भी क्षेत्र में झांककर देख लें, आसुरी सींग ही दिखाई देते हैं। ये मानवता के तो शत्रु हैं ही, प्रकृति की भी जड़ें खोद रहे हैं। हमारी सरकारें इतनी नृशंस हो जाएंगी, यह कौन सोच सकता है। इनको अपने कागज के टुकड़ों की चिंता के आगे बाकी सब छोटा लगता है। सोचो तो, एक ओर सरकारें कमीशन खाने में व्यस्त हैं। इनका क्या जाता है- गांव उजड़ जाए, खेती उजड़ जाए, पेड़ काट लें, पक्षी मर जाए। और भी कुछ होना है हो जाए। इनका थैला शाम तक भर जाए।
दूसरी ओर प्रकृति पर कुठाराघात। लूट लो अस्मत उसकी। गरीब की जोरू सबकी भाभी सी। बजरी-पत्थर-रेत-शराब-अफीम-डोडे-खनिज-लवण-तेल-पानी कुछ भी मिले, खा जाओ। सत्ता में अवैध कुछ नहीं होता। माफिया ही वैध होता है। पिछले 15-20 वर्षों का रिकॉर्ड देख लें, माफिया ने ही ज्यादातर सरकारें चलाई हैं। यदि मैं यह कहूं अवैधता ही आज कानून है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। क्योंकि आज अपराधों के शीर्ष पर भी नेता और अधिकारी ही बैठे हैं। उनके काले धन से ही माफिया पनपता है। ये ही माफिया के संरक्षक बन जाते हैं। आज तो इनके परिजनों का व्यवहार भी गुंडों और माफिया जैसा होने लगा है। जैसा खावे अन्न, वैसा होवे मन। इनके कुलों का भी यही भविष्य होने वाला है।
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आज लोकतंत्र को शर्म आ रही है- अपराधों का बोलबाला इतना बढ़ गया कि आज नागरिक त्रस्त हो उठा। हत्या-बलात्कार, डकैती, साइबर ठगी, डिजिटल अपराध सब आक्रामक गति से आगे बढ़ रहे हैं। पुलिस का रवैया तो हास्यास्पद लगने लगा है। न तो माफिया पर काबू कर पा रही है, न खुद को पिटाई से बचा पा रही है। अंग्रेजी की एक कहावत है- ‘इफ यू कैन नॉट विन देम, ज्वॉइन देम’ अर्थात यदि आप किसी पर काबू नहीं पा सकते, तो उसके साथ मिल जाइए। जैसे नेता पाला बदलते रहते हैं। पुलिस को आज माफिया का सहोदर माना जाने लगा है। इनकी खुद की अपनी शासन प्रणाली बन गई। ये किसी भी ट्रक को रात को चौकी पार करवा सकती है, किसी भी डायरी बदलकर कोर्ट में पेश कर सकते हैं, थाने में बलात्कार कर सकती है- भले ही महिला सिपाही ही क्यों न हो, कारें उठवा सकती है, नाइट क्लब का कवच बन सकती है, सैक्सटॉर्शन की मूक-दर्शक बन सकती है। सबके साथ-सबका विकास। काश, ये भी राज्य में अपराधों के आंकड़े पढ़ लेते। मानवता का जो अपमान, विशेषकर महिला पीड़िताओं का, थानों में होता है, शायद रावण के राज्य में भी नहीं हुआ हो। मुझे आज तक याद है सन् 2022 में एक आरपीएस अधिकारी ने पीड़िता से रिश्वत में अस्मत मांग ली थी।

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युवा दल तैयार हों

गृह विभाग में भी कई पुलिसकर्मियों अधिकारियों के विरुद्ध शिकायतें जांच व आदेश रखे हैं। कार्रवाई कौन करे? ऊपर सीबीआई जैसे विभागों में भी वरिष्ठ अधिकारी इनके बैच के ही होते हैं। कोई भी कार्रवाई नहीं होगी। नेताओं और कुछ अधिकारियों की तो टीमें भी दिखाई दे जाएंगी। प्रभावशाली नेताओं के सैकड़ों एकड़ भूमि पर कब्जे हैं, होंगे। न्यायालय में तारीखें पड़ती रहती हैं। बयान बदलते रहते हैं या बदलने के लिए दबाव बने रहते हैं। नहीं तो झूठे मुकदमों में फंसाकर भी अपना उल्लू सीधा करते रहते हैं। अब साइबर ठगी-डिजिटल ठगों ने अपराधों के आयाम बदल दिए। हमारा अनुभव यह है कि ये ठग भी पुलिस से दूर नहीं है। पत्रिका के अभियान अब अपराधियों का पीछा करेंगे। युवा वर्ग स्थानीय स्तर पर जुड़ते जाएं तो बहुत कुछ सफलता मिल सकती है। पुलिस से अपेक्षा रहेगी इस अभियान में सहयोग करे। नेताओं की गुलामी बहुत हो गई। अपराध अब इनकी चिंता का उतना बड़ा विषय नहीं रहा, जितना कभी था। इसकी चिंता जनता को ही करनी होगी।
एक ही मार्ग है। हर नगर-गांव में युवा-दल तैयार हों, संकल्प के साथ। न मादक द्रव्य गांव में घुसेंगे, न कोई अपराधी गांव में रह पाएगा। नारी शक्ति की पुनः प्रतिष्ठा होगी। फिर कोई आंख उठाकर तो देखे।

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