सुमन पाटीदार, चोखला
सोचने की बजाय सर्च पर निर्भरता
आज एआई ने हर क्षेत्र में मशीनीकरण को बढ़ावा दिया है। लोग समस्याओं का हल सोचने की बजाय सर्च के जरिए ढूंढने लगे हैं। इससे मस्तिष्क की सक्रियता और रचनात्मकता घटती जा रही है। हालांकि चिकित्सा, शिक्षा और रिसर्च में एआई की भूमिका सराहनीय है।
सुनीता प्रजापत, हनुमानगढ़
भावनात्मक नुकसान और सामाजिक प्रभाव
एआई इंसानी भावनाओं को समझने में सक्षम नहीं है। इसके अधिक उपयोग से भावनात्मक जुड़ाव और परिवार से संबंध कमजोर हो सकते हैं। यह ‘भस्मासुरी वरदान’ की तरह है, जिसका उपयोग विवेकसंगत रूप से करना आवश्यक है।
प्रियव्रत चारण , जोधपुर
भावनात्मक जुड़ाव में कमी
यह बात तो सही है कि तकनीकी एआई हमें अपनी दूसरी आंख से दूर कर रही है… यानी भावात्मक रूप से माँ से, परिवार से, और अपने आप से। जहां तक बौद्धिक स्तर की बात है, काम जल्दी करने और आलस्य की वजह से जब हम एआई का सहारा लगातार लेने की आदत से ग्रस्त हो जाते हैं, तो बौद्धिक स्तर पर प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है। परंतु यदि हम एआई का प्रयोग विवेकसंगत रूप में करें, तो बौद्धिक स्तर को अच्छा बनाए रखने हेतु कार्यों की कोई कमी नहीं है। निष्कर्षतः, एआई वरदान ही है, पर भस्मासुरी वरदान… जिसका उपयोग हमारे ऊपर निर्भर है।
मिहिका शर्मा, बेंगलुरु
सुरक्षित उपयोग के सुझाव
एआई का सकारात्मक उपयोग करने से यह मानव बुद्धि का पूरक बन सकता है। पारदर्शिता, नैतिकता और जिम्मेदारी के साथ इसका विकास और उपयोग समाज के लिए फायदेमंद हो सकता है।
लता अग्रवाल, चित्तौड़गढ़
नौकरी और योग्यता पर प्रभाव
एआई के कारण कई क्षेत्रों में नौकरियां खत्म हो सकती हैं। खासकर डाटाबेस मैनेजमेंट और अन्य तकनीकी क्षेत्रों में इसकी स्वचालन क्षमता से योग्य व्यक्तियों की योग्यता पर असर पड़ेगा।
रविंद्र बराड़, सिरोही
विकास के साथ संतुलन आवश्यक
एआई ने जीवन को आसान बनाया है और हर आयु वर्ग के लिए उपयोगी साबित हो रहा है। हालांकि, यह ध्यान रखना आवश्यक है कि यह इंसान द्वारा बनाई गई तकनीक है, न कि इंसान का विकल्प। सही संतुलन और सावधानीपूर्वक उपयोग से इसके दुष्प्रभाव कम किए जा सकते हैं।
निर्मला देवी वशिष्ठ, राजगढ़ अलवर