नदियों को प्रदूषण मुक्त करना सभी की जिम्मेदारी है। नदियों को प्रदूषण मुक्त करने के कार्य में राजनीति नहीं होनी चाहिए। किसी भी प्रकार का कचरा और गंदा पानी नदियों में न मिलने दें, तो नदियों का पानी पीने योग्य बना रहेगा। नदियों को साफ रखने का काम केवल सरकार पर नहीं छोड़ा जा सकता। यह सबका कर्तव्य है।
– रणजीत सिंह भाटी, राजाखेड़ी, मंदसौर, मप्र
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यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि नदियों में गंदे नाले का पानी न जाए। इसके लिए फिल्टर प्लांट लगाकर गंदे पानी को साफ किया जाना चाहिए। नदियों के आसपास बड़े डस्टबिन रखने चाहिए और वहां से कचरे को अन्यत्र डाला जाना चाहिए, जिससे वहां गंदगी न हो। नदियों के आसपास वृहद स्तर पर वृक्षारोपण किया जाना चाहिए, जिससे प्रदूषण नहीं होगा। नदियों को प्रदूषित करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई जरूरी है।
-आलोक वालिम्बे, बिलासपुर, छत्तीसगढ़
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नदियों को बचाने के लिए यह सुनिश्चित किया जाए कि कोई भी औद्योगिक इकाई बिना वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के नहीं चलेगी। नदियों के कम से कम 1 किलोमीटर के दायरे में सिर्फ कैचमेंट एरिया होना चाहिए।
-अखिलेश यादव, सागर
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नदियों को प्रदूषण मुक्त करने में जनभागीदारी की बड़ी भूमिका हो सकती है। जिन इलाकों से नदी गुजरती है, वहां के लोगों को नदी की महत्ता समझने की ज्यादा जरूरत है। आज छोटे से छोटे शहरों की नाली का गंदा पानी बिना फिल्टर किए स्थानीय नदी में छोड़ा जा रहा है। यह प्रवृत्ति रुकनी चाहिए। साथ ही नदी का पाट जो रेत माफिया बेरहमी से छलनी कर रहे हैं, उन पर नकेल कसनी होगी। नदी से दोनों किनारों पर स्थानीय प्रजाति के ज्यादा से ज्यादा वृक्ष लगाने होंगे।
-मिनाशु मस्ता, शहड़ोल, मध्यप्रदेश
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वरदान हैं नदियां
नदियां संपूर्ण मानव और जीव-जंतुओं के जीवन के लिए वरदान हैं। नदियों को प्रदूषण से मुक्त करने के हमने तमाम प्रयास किए, किंतु विफल रहे। वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की मदद से भारत की नदियों को स्वच्छ बनाया जा सकता हैं।
-मनीष कुमार सिन्हा, रायपुर
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उद्योगों द्वारा नदियों को प्रदूषित करने पर कानूनन रोक लगाई जानी चाहिए। सरकार को प्रतिवर्ष नदियों का उचित रखरखाव करना चाहिए। लोगों को भी नदियों के आसपास कूड़ा-कचरा न फैलाने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
– शिवपाल सिंह, मेड़ता सिटी
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नदियां स्वच्छता और पवित्रता की निशानी हैं । पॉलीथिन व दूषित कचरे को नदियों में डाल देना स्वयं हमारे लिए ही हानिकारक है। फिर भी हम जाने-अनजाने ऐसी गलती कर ही देते हैं। सरकारों द्वारा जल संरक्षण के कई कार्य चलाए गए हैं, किंतु आमजन होने के नाते यह हमारी भी जिम्मेदारी बन जाती है कि हम नदियों के जल को दूषित होने से रोकें। इस कार्य के लिए हमें भी सजग रहना होगा, क्योंकि जल ही जीवन है।
-वन्दना दीक्षित, बूंदी
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नदियों की सफाई का कार्यक्रम चलाने से ज्यादा बेहतर है कि नदियों में अपशिष्टों व औद्योगिक रासायनिक जल को मिलने से रोका जाए। इससे नदियां दूषित होने से बचेंगी व बहता जल स्वयं साफ हो जाएगा?।
-अमनदीप बिश्नोई, सूरतगढ़
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नदियां हमारी प्यास बुझाती हैं । नदियों को हम पूजते हैं। इसलिए नदियों को स्वच्छ रखना हमारी जिम्मेदारी बनती है। नदियों को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए हमें प्लास्टिक की थैलियां, बोतल या अन्य सामग्री नदियों में या उनके किनारे नहीं फेंकना चाहिए। नदियों में सिर्फ मिट्टी की ही मूर्तियां विसर्जित करनी चाहिए। मूर्तियों में प्राकृतिक रंगों का प्रयोग करें। उद्योगों का रसायन मिला पानी, सीवरेज का पानी नदियों में नहीं जाना चाहिए। मान्यता है कि गंगा पापों को धो देती है। इसलिए लोग शवों को नदी में बहा देते हैं। इससे नदी प्रदूषित हो जाती है। नदियों को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए सभी को जागरूक होना होगा।
– गोविंद प्रसाद शर्मा, थानागाजी, अलवर