-राकेश मोहनलाल कुमावत, देवास, मप्र …………… असली समस्याओं की अनदेखी यह प्रश्न 70-80 के दशक में प्रासंगिक था। वर्तमान में नहीं। बेरोजगारी, पलायन और आर्थिक असंतुष्टि में युवाओं के शादी- विवाह नहीं हो रहे। बच्चे खाक होंगे। यह प्रश्न मूल समस्याओं जैसे बेरोजगारी, पलायन और आर्थिक असंतुष्टि के प्रति राष्ट्र और समाज को शुतुरमुर्ग बनाता है। -राजीव रत्न वाजपेयी, अजमेर
……….. सरकारी योजनाओं से वंचित किया जाए जनसंख्या नियंत्रण के लिए सरकारों को सरकारी, निजी तथा स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से जनजागृति का प्रसार व्यापक स्तर पर करना चाहिए। जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाकर इसकी सख्ती से पालना करवानी चाहिए। दो से अधिक संतान वालों को सभी सरकारी योजनाओं से वंचित किया जाना चाहिए।
-राजेन्द्र पचार, लीलकी, चूरू ……………….. जागरूकता की जरूरत जनसंख्या नियंत्रण के साधनों के उपयोग के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा की जानी चाहिए। शादी की न्यूनतम उम्र बढ़ा देनी चाहिए। अधिक संतान वालों को सरकारी सुविधाओं से वंचित किया जाना चाहिए।
-कैलाश चन्द्र मोदी, सादुलपुर, चूरू ……… अनियंत्रित जनसंख्या गंभीर आपदा तेजी से बढ़ती जनसंख्या किसी भी देश के लिए एक गम्भीर आपदा है। अनियंत्रित जनसंख्या के कारण सभी को भोजन, आवास, स्वास्थ्य और शिक्षा उपलब्ध करवाने में मुश्किल होती है। सरकार को जनसंख्या नियंत्रण के लिए कठोर कदम उठाने चाहिए। शादी की उम्र बढ़ाने के साथ नियोजित परिवार रखने के साधनों का प्रचार-प्रसार तथा इनकी उपलब्धता को सुनिश्चित करना होगा।
-हुकुम सिंह पंवार, इन्दौर, मप्र ………………. नहीं मिले सरकारी मदद जनसंख्या नियंत्रण के लिए दो से ज्यादा बच्चे पैदा करने वाले दंपतियों को शासकीय अनुदान एवं प्रदत्त सुविधाओं से वंचित किया जाना चाहिए।
-योगेश यादव, महू, कैंट …………… दबाव न डाला जाए जनसंख्या नियंत्रण के लिए जबरदस्ती या दबाव के तरीकों का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। इसके बजाय, लोगों को स्वेच्छा से छोटे परिवारों के लिए प्रेरित करना चाहिए। इसके लिए एक सकारात्मक और समावेशी दृष्टिकोण अपनाना होगा।
-सीता प्रजापत, माडपुरा, नागौर …….. कानून की जरूरत जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून बनाया जाए। यह जरूरी है कि भारत में रहने वाली सभी जातियों व सम्प्रदायों पर यह कानून समान रूप से नियम लागू हो और सभी इसका पालन करें।
भगवती प्रसाद गेहलोत, पिपलिया मंडी