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Leadership: खुशी और कल्याण के आयाम समझें ‘स्पायर’ मॉडल से

जब हम हमारे आसपास मौजूद लोगों की सराहना करते हैं, तो हमारे जीवन में सकारात्मकता आती है और हम भी आशावादी होते हैं। खुशी सिर्फ आनंद से कहीं अधिक है।

Jul 18, 2022 / 09:36 pm

Patrika Desk

स्पायर मॉडल

स्पायर मॉडल

प्रो. हिमांशु राय

निदेशक, आइआइएम इंदौर

पिछली बार मैंने चर्चा की थी, कि खुशी के विरोधाभासों का सामना कैसे किया जा सकता है। इन्हें समझना एक सफल प्रबंधक के लिए बेहद आवश्यक भी है। अधीनस्थों और संगठन के समग्र कल्याण के लिए प्रतिबद्ध लीडर को खुशहाली के बारे में अपने दृष्टिकोण को व्यापक बनाने के लिए आनंद और कल्याण के आयामों को भी समझना होगा। अंग्रेजी के शब्द ‘स्पायर’ मॉडल से हम ये आयाम समझ सकते हैं। स्पायर यानी स्पिरिचुअल (आध्यात्मिक), फिजिकल (शारीरिक), इंटेलेक्चुअल (बौद्धिक), रिलेशनल (संबंधपरक) और इमोशनल (भावनात्मक) भलाई।
आध्यात्मिक कल्याण: चाहे आप घर पर हों या ऑफिस में – जीवन में अर्थ और उद्देश्य की भावना खोजना ही आध्यात्मिकता है। यदि आप सुबह उठते ही कोई उद्देश्य तय कर लेते हैं तो आपके सफल होने की संभावना अधिक होती है।
शारीरिक देखभाल: जब शारीरिक देखभाल की बात आती है तो सबसे अहम कारक तनाव होता है। संयुक्त राज्य अमरीका में आधे से अधिक कर्मचारी कभी मान्य छुट्टियां भी नहीं लेते हैं। ऐसा करने वालों में से भी लगभग आधे अपनी नौकरी की जिम्मेदारियों के अधीन हैं। यहां योग और ध्यान सहायक हो सकते हैं। कई अध्ययनों के अनुसार, पैरासिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम, योग आसनों से सकारात्मक रूप से प्रभावित होता है, खासकर जब उन्हें श्वास के साथ समन्वित किया जाता है।
बौद्धिक विकास: बौद्धिक विकास पर एक अध्ययन के अनुसार, जो जिज्ञासु होते हैं और प्रश्न पूछते हैं वे खुश रहने के साथ लंबे समय तक जीवित रहते हैं। प्रश्न पूछना और विषय के साथ गहराई से जुडऩा एक अन्य अहम घटक है। यह पाठ, कला का काम या प्रकृति से जुड़ा भी हो सकता है।
परस्पर सकारात्मक संबंध: उन लोगों के साथ सार्थक समय बिताना जिनकी हम परवाह करते हैं और जो हमारी परवाह करते हैं, खुशी के सबसे बड़े आयामों में से एक है। हमारे संबंधों की ताकत सबसे महत्त्वपूर्ण कारक है जिससे हम प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना कर पाते हैं और आगे बढ़ पाते हैं।
भावनात्मक कल्याण: भावनात्मक स्वास्थ्य भी बेहद महत्त्वपूर्ण है। अप्रिय भावनाओं को स्वीकारना जरूरी है, पर साथ ही सुखद भावनाओं का विकास भी किया जाना चाहिए। विशेष रूप से प्रशंसा की भावना यहां अहम भूमिका निभाती है। जैसा कि सिसरो ने कहा है – ‘कृतज्ञता सभी गुणों की जननी है।’ जब हम हमारे आसपास मौजूद लोगों की सराहना करते हैं, तो हमारे जीवन में सकारात्मकता आती है और हम भी आशावादी होते हैं। खुशी सिर्फ आनंद से कहीं अधिक है। खुशी वास्तव में हर समय मौजूद है, तब भी, जब हम दुखी हों। यह एक सतत यात्रा है। अगर हम जागरूक हों, तो उम्मीदों के विपरीत उचित अपेक्षाएं तय कर सकते हैं।
बेशक, मैं यह नहीं मानता कि सब कुछ अच्छे के लिए होता है। हालांकि, हम अनपेक्षित से सर्वश्रेष्ठ बनाना सीख सकते हैं। खुशी के आयामों और विरोधाभासों को समझकर एक प्रबंधक न केवल एक उद्देश्यपूर्ण और व्यावहारिक रणनीतिकार और लक्ष्य-निर्धारक बन सकता है, बल्कि व्यक्तिगत रूप से सुधार के अवसर प्रदान करने में उनकी संभावित भूमिका को स्वीकार करते हुए, व्यवधानों के लिए एक सहिष्णुता भी विकसित करता है।

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