scriptप्रसंगवश : बच्चों को जीवन का फलसफा सिखाने की सराहनीय पहल | Kota Group Editor Ashish Joshi Special Article On 22nd January 2025 On Initiatives Like 'Kota Care' And 'Kamyaab Kota' | Patrika News
ओपिनियन

प्रसंगवश : बच्चों को जीवन का फलसफा सिखाने की सराहनीय पहल

कोचिंग सिटी कोटा में नए साल के पहले तीन सप्ताह में ही पांच कोचिंग स्टूडेंट्स की आत्महत्या की घटनाएं चिंतित व विचलित करती है। ऐसे में कोटा में कोचिंग संस्थानों से लेकर पुलिस-प्रशासन तक ने बच्चों की सुरक्षा के लिए ‘कोटा केयर’ और ‘कामयाब कोटा’ सरीखी पहल की है जिसका स्वागत किया जाना चाहिए।

कोटाJan 22, 2025 / 01:49 pm

Ashish Joshi

कोचिंग सिटी कोटा में नए साल के पहले तीन सप्ताह में ही पांच कोचिंग स्टूडेंट्स की आत्महत्या की घटनाएं चिंतित व विचलित करती है। ऐसे में कोटा में कोचिंग संस्थानों से लेकर पुलिस-प्रशासन तक ने बच्चों की सुरक्षा के लिए ‘कोटा केयर’ और ‘कामयाब कोटा’ सरीखी पहल की है जिसका स्वागत किया जाना चाहिए। यहां कलक्टर-एसपी दोनों खुद चिकित्सक भी हैं। वे खुद बच्चों के बीच जाकर तनावमुक्त होकर पढ़ाई करने का तरीका और जीवन का फलसफा सिखा रहे हैं।
बच्चे पढ़ाई और स्पर्धा को लेकर किसी प्रकार का दबाव महसूस नहीं करें, इसके लिए कोचिंग संस्थानों से लेकर हॉस्टल तक कई रोचक गतिविधियां हो रही हैं। बच्चों के साथ रह रही माताओं और अन्य अभिभावकों के लिए पेरेंटिंग सेशन भी हो रहे हैं। उन्हें मनोवैज्ञानिक तरीके से बताया जा रहा है कि किस तरह घर का माहौल खुशनुमा रखना है। इतना ही नहीं, आत्महत्याओं को रोकने के लिए हॉस्टलों के पंखों में एंटी हैंगिंग डिवाइस लगाने जैसे कई नवाचार भी किए गए हैं।
यह भी पढ़ें

प्रसंगवश: निवेश को बढ़ावा देंगे आवागमन के सुविधायुक्त साधन

जाहिर है कि तमाम दूसरे शहरों के लिए भी इस तरह के नवाचार नजीर बन रहे हैं। क्योंकि संवेदनशील प्रयासों के जरिए ही ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है। बच्चों में पढ़ाई का दबाव और एक हद तक अभिभावकों की बच्चों को लेकर की जाने वाली उम्मीदें ऐसी घटनाओं के लिए एक हद तक जिम्मेदार हैं। ऐसे में न केवल कोटा बल्कि समूचे राजस्थान में बच्चों का मनोबल बढ़ाने के लिए ऐसे प्रयासों की दरकार है। लेकिन आत्महत्या के मामलों को प्रेम प्रसंग से जुड़ा बताने वाले शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के बयान ऐसे प्रयासों की अहमियत कम करने वाले साबित हो रहे हैं।
यह भी पढ़ें

जीवनदायिनी कितनी जीवनरक्षक…जांचने का सिस्टम ही बीमार

खुद शिक्षा मंत्री ऐसे विवादित बयान देकर संवेदनशील मामलों को हवा में उड़ाते नजर आएं तो फिर दोष किसको दें? होना तो यह चाहिए कि जयपुर, जोधपुर और सीकर जैसे शहरों में जहां लाखों बच्चे घर से दूर अकेले रहकर पढाई कर रहे हैं वहां भी कोटा जैसे नवाचार शुरू किए जाएं।अभिभावकों को भी समझना होगा कि उनका सपना टूट जाए तो कोई बात नहीं, लेकिन बच्चे का हौसला नहीं टूटना चाहिए। कोई भी परीक्षा जिंदगी से बड़ी नहीं है। बेशक, कोटा की यह पहल बच्चों को सीख देती है कि है कि एक सपना साकार नहीं हुआ तो क्या… सपनों का ‘सारा जहां’ उनके सामने है।
– आशीष जोशी
ashish.joshi@epatrika.com

Hindi News / Prime / Opinion / प्रसंगवश : बच्चों को जीवन का फलसफा सिखाने की सराहनीय पहल

ट्रेंडिंग वीडियो