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नेतृत्व : करुणा और बुद्धिमत्ता के मेल से ही मानवीय मूल्यों के साथ बदलाव

‘वाइज-कम्पैशन लीडरशिप मैट्रिक्स’ ज्ञान और करुणा के आयामों की परस्पर क्रिया के आधार पर विभिन्न परिस्थितियों में प्रबंधकों और लीडरों द्वारा उपयोग की जाने वाली नेतृत्व शैली को परिभाषित करता है।

Sep 27, 2021 / 11:35 am

Patrika Desk

प्रो. हिमांशु राय , (निदेशक, आइआइएम इंदौर)

प्रो. हिमांशु राय , (निदेशक, आइआइएम इंदौर)

प्रो. हिमांशु राय , (निदेशक, आइआइएम इंदौर)

बुद्धिमत्ता और करुणा का मेल एक लीडर को रूढि़वादिता को चुनौती देने और बदलाव लाने के लिए मानवीय तरीके से सक्षम बनाता है। ‘वाइज-कम्पैशन लीडरशिप मैट्रिक्स’ ज्ञान और करुणा के आयामों की परस्पर क्रिया के आधार पर विभिन्न परिस्थितियों में प्रबंधकों और लीडरों द्वारा उपयोग की जाने वाली नेतृत्व शैली को परिभाषित करता है।

इसके चार भाग हैं। पहले को ‘केयरिंग अवॉइडेंस’ यानी ‘देखभाल से बचना’ (उच्च करुणा, निम्न बुद्धिमत्ता) कहा जाता है। इस शैली में, लीडर सहानुभूति प्रदर्शित करता है और कर्मचारियों के प्रति विचारशील होता है, लेकिन संगठनात्मक उत्पादकता और प्रदर्शन के लिए साहसिक निर्णय लेने में संकोच करता है या अनिच्छुक होता है, क्योंकि इससे उसकी छवि कठोर या प्रक्रिया-केंद्रित होने के रूप में सामने आ सकती है। दूसरे भाग को हम ‘वाइज कम्पैशन’ यानी ‘बुद्धिमत्ता-करुणा’ नेतृत्व शैली (उच्च करुणा, उच्च बुद्धिमत्ता) कहते हैं, जहां लीडर अपनी क्षमता और अनुभवों के आधार पर उत्पादकता वाले लोगों के लिए संतुलन बनाए रखता है।

तीसरा भाग ‘इनइफेक्टिव इनडिफरेंस’ यानी ‘अप्रभावी तटस्थता’ (निम्न करुणा, निम्न बुद्धिमत्ता) के बारे में है, जिसमें लीडर न तो अपने अधीनस्थों की भलाई और न ही सामूहिक उत्पादकता की परवाह करता है। चौथे भाग ‘अनकेयरिंग एग्जीक्यूशन’ यानी ‘बेपरवाह निष्पादन’ में लीडर, अदूरदर्शी और संवेदनहीन होते हैं। वे अधीनस्थों की भलाई की उपेक्षा करते हैं, और त्वरित परिणाम व तत्काल लाभ पसंद करते हैं। इस तंत्र की तुलना रॉबर्ट ब्लेक और जेन माउटन द्वारा प्रस्तावित नेतृत्व के प्रसिद्ध प्रबंधकीय ग्रिड मॉडल से की जा सकती है, जो लोगों की परवाह और उत्पादन की फिक्र के आधार पर पांच अलग-अलग नेतृत्व शैलियों को वर्गीकृत करता है।

ग्रिड के अनुसार, ‘मध्य-मार्ग’ (मिडल ऑफ द रोड) और ‘टीम प्रबंधन’ (टीम मैनेजमेंट) शैली शुरुआती और उन्नत लीडरों की बुद्धिमत्ता-करुणा आधारित शैलियों के साथ निकटता से मेल खा सकती है। विभिन्न देशों के लगभग 15,000 लीडरों के एक सर्वेक्षण के डेटा विश्लेषण के दौरान, हाउगार्ड, कार्टर और सहयोगियों ने लीडरों के बुद्धिमत्ता-करुणा नेतृत्व शैली और रोजगार संवर्धन के बीच एक संबंध पाया।

बुद्धिमत्तापूर्ण करुणा का विकास: विभिन्न अध्ययनों में पाया गया है कि अर्थपूर्णता आधारित प्रथाएं इसमें उपयोगी हो सकती हैं –

स्वयं से ही होगी शुरुआत: दूसरों के साथ करुणा की भावना वास्तव में उन्हीं व्यक्तियों द्वारा विकसित की जा सकती है जो अपनी भावनाओं को संतुलित करने में सक्षम हैं। सकारात्मक आत्म-चर्चा का आचरण और विकास केन्द्रित मानसिकता प्राप्त करना बुद्धिमानी आधारित करुणा भाव की नींव है।

दूसरों और स्वयं के उद्देश्य का प्रतिबिंब: यह न केवल एक व्यक्ति को भावनाओं के बहकावे में आने से रोकता है बल्कि उन्हें दूसरों के दृष्टिकोण से मुद्दों को समझने में प्रयास करने और उनके वास्तविक हितों, आशंकाओं और समस्याओं को उजागर करने में मदद करता है।

संचार में स्पष्टता और पारदर्शिता लाएं: इससे सहकर्मियों और अधीनस्थों में विश्वास बनाने में मदद मिलती है और दूसरों को अपने विचारों और समस्याओं को साझा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

बातचीत करें: एक व्यक्ति जितना अधिक दूसरों से बात करता है, उसका दृष्टिकोण उतना ही व्यापक होता जाता है।

मानवीय स्पर्श अंत: क्रिया से आता है और जागरूकता दूसरों के अनुभवों से भी जाग्रत की जा सकती है।

वर्तमान संदर्भ में लोगों के लिए चिंता के साथ सफल उत्पादन व परिणामों को संतुलित करने वाली नेतृत्व शैली उपयुक्त हो सकती है। इस विश्व को ऐसे प्रबंधकों और लीडरों की जरूरत है जो इस निरंतर मशीनीकृत होती दुनिया में मानवीय मूल्यों को जीवित रखें, और जो लोगों के माध्यम से और उनके साथ काम कर, उनके प्रदर्शन और उनकी भलाई को संतुलित करने की जिम्मेदारी का निर्वहन करें।

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