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अलवर

किसानों को पता चल सकेगा मौसम का मिजाज कैसा रहेगा, कृषि अनुसंधान केन्द्र पर जल्द स्थापित होगी वेधशाला

मशीनों के लिए चल रही है टेण्डर प्रक्रिया। यूनिवर्सिटी की ओर से बजट की मिल गई स्वीकृति

अलवरDec 19, 2024 / 07:48 pm

Ramkaran Katariya

नौगांवा(अलवर). कस्बे के कृषि अनुसंधान केन्द्र पर जल्द मौसम वेधशाला स्थापित की जाएगी, जिससे क्षेत्र सहित जिले के किसानों को मौसम के मिजाज की जानकारी मिल सकेगी।

कृषि अनुसंधान केन्द्र के क्षेत्रीय निदेशक गोपाल लाल चौधरी ने बताया कि मौसम वेधशाला के लिए यूनिवर्सिटी की ओर से बजट की स्वीकृति मिल गई है। वेधशाला की मशीनों के लिए टेण्डर प्रक्रिया चल रही है और 1-2 माह में ये कार्य भी पूरा हो जाएगा। जिसके बाद केन्द्र पर मौसम वेधशाला से मौसम के मिजाज की जानकारी मिलना प्रारम्भ हो जाएगी। उसी के अनुसार कृषि वैज्ञानिक किसानों को फसलों से सम्बन्धी जानकारी उपलब्ध करा सकेंगे। ज्ञात रहे कि नौगांवा का मौसम का मिजाज पूरे जिले सहित प्रदेश में विषम होता है। सर्दी के दिनों में यहां का तापमान माइनस तक पहुंच जाता है, वहीं गर्मियों में तापमान में सर्वाधिक बढोतरी भी इसी क्षेत्र में रहती है।
किसानों के लिए उपयोगी

कृषि अनुसंधान केन्द्र पर स्थापित होने वाली अत्याधुनिक मौसम वेधशाला वैज्ञानिक दृष्टिकोण से तो फायदेमंद होगी ही, साथ ही मौसम की जानकारी से किसानों के लिए भी उपयोगी होगी। कृषि अनुसंधान केन्द्र के क्षेत्रीय निदेशक डाॅ.गोलाललाल चौधरी ने बताया कि इस मौसम वेधशाला से मौसम के न्यूनतम व अधिकतम तापमान के अलावा हर आधा घण्टे में तापमान में उतार-चढाव का रिकॉर्ड लिया जा सकेगा। हवा की दिशा एवं गति, सूर्य की तीव्रता एवं बरसात की मात्रा के अलावा मौसम में आद्र्वता की मात्रा, ओस की मात्रा, जमीन के तापमान की अन्य जानकारी ज्ञात होगी। इसी मौसम के आधार पर केन्द्र के वैज्ञानिक किसानों को फसल बुवाई समय सहित वर्षा का पूर्वानुमान, फसल में लगने वाले रोगों एवं कीटों की जानकारी, फसलों में सिंचाई की मात्रा एवं सिंचाई के समय की जानकारी उपलब्ध करा सकेंगे और फसलों सम्बन्धी अन्य सुझाव दे सकेंगे। इसके अलावा कृषि अनुसंधान केन्द्र पर कृषि काॅलेज की स्थापना भी हो चुकी है। जिसमें बच्चे कृषि विज्ञान की पढाई कर रहे हैं, वो भी फसलों में मौसम से होने वाले बदलावों सहित मौसम की जानकारी से रूबरू हो सकेंगे।
पूर्व में भी कृषि अनुसंधान केन्द्र पर मौसम वेधशाला की स्थापना की गई थी, पर मेन्टेनेन्स बजट उपलब्ध नहीं होने के कारण ये मौसम वेधशाला दम तोड गई और वर्तमान में नाकारा हो गई। जिसके कारण कई सालों से न तो वैज्ञानिक ही इसका लाभ ले पा रहे थे और न ही किसानों के लिए उपयोगी साबित हो रही थी।

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