भाजपा ने भी अपनी रणनीति बदलते हुए दलित और राजपूत वोटबैंक को रिझाने की कोशिश शुरू कर दी है। यही वजह रही कि राज्यसभा में इस बार मेरठ से दो सांसद भेजे गए। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। यह अपने आप में रिकॉर्ड है। इसके अलावा, मेरठ के पास पहले से 4 लोकसभा सांसद है। इस तरह देखें तो इस एक जिले को अब 6 सांसद मिल गए हैं और यह भी उत्तर प्रदेश की सियासत में पहली बार हुआ है।
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कौन-कौन गया राज्यसभा –भाजपा ने कांता कर्दम और विजयपाल तोमर को राज्यसभा भेजा है। दोनों मेरठ के शास्त्रीनगर क्षेत्र में रहते हैं। कांता कर्दम (उम्र करीब 50 वर्ष) भाजपा की वरिष्ठ कार्यकर्ता रही हैं। हालांकि, इससे पहले वे विधायक या सांसद नहीं रहीं। पिछले नगर निगम चुनाव में भाजपा से महापौर पद की उम्मीद्वार थीं, लेकिन बसपा की सुनीता वर्मा से वह हार गईं। पार्टी ने दलित चेहरे को प्रतिनिधित्व देते हुए उन्हें राज्यसभा का उम्मीद्वार बनाया। यही समीकरण विजयपाल तोमर के लिए अपनाया गया। तोमर कद्दावर राजपूत नेता माने जाते हैं। पूर्व में विधायक रह चुके हैं।
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मेरठ लोकसभा सीट से राजेंद्र अग्रवाल सांसद हैं। वहीं, सरधना-मुजफ्फरनगर सीट से संजीव बालियान सांसद हैं। सरधना मेरठ का विधानसभा क्षेत्र है। मुजफ्फनगर जिला और सरधना के कुछ हिस्से को मिलाकर यह संसदीय क्षेत्र बनाया गया है। वहीं, मेरठ के सिवालखास क्षेत्र और बागपत जिले को मिलाकर संसदीय सीट है। यहां से केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह सांसद हैं। इसी तरह मेरठ का हस्तिनापुर क्षेत्र और बिजनौर जिले को मिलाकर बनी संसदीय सीट पर कुंवर भारतेंदु सांसद हैं। इस तरह मेरठ के खाते में चार लोकसभा सांसद भी हैं। यह पहली बार है, जब इन चारों सीट पर भाजपा काबिज है।
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पृथ्वीनाथ सेठ सबसे पहले पहुंचे थे यहां से –मेरठ से राज्यसभा सबसे पहले पृथ्वीनाथ सेठ पहुंचे थे। तब चौधरी चरण सिंह प्रधानमंत्री थे। इसके बाद चौधरी चरण सिंह ने अपने बेटे और राष्ट्रीय लोकदल के वर्तमान अध्यक्ष अजित सिंह को भी मेरठ से ही राज्यसभा भेजा था। इसके बाद कांग्रेस ने शांति त्यागी को दो बार यहां से राज्यसभा भेजा। इसके अलावा, मोहसिना किदवई ने यहां से राज्यसभा में आवाज बुलंद की। बाद में भाजपा ने रणवीर सिंह को यहां से राज्यसभा भेजा। बसपा ने मुनकाद अली को दो बार मेरठ से राज्यसभा भेजा। अब भाजपा ने कांता कर्दम और विजयपाल तोमर को पहली बार एक साथ राज्यसभा भेजा है।