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नोएडा

जीवन ही नहीं, प्रदूषण पर भी भारी पड़ा कोरोना, पर्यावरण पर दिखा जादुुई असर

Highlights:
-कोरोना वायरस के मद्देनजर देशभर में लॉकडाउन घोषित है
-लॉकडाउन के कारण दशकों बाद प्रदूषण स्वच्छ हुआ है
-विशेषज्ञों का कहना है कि इससे सांस के मरीजों में कमी आई है

नोएडाApr 24, 2020 / 03:59 pm

Rahul Chauhan

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नोएडा। दुनियाभर में हर साल लाखों लोगों को असमय मौत की नींद सुलाने वाला वायु प्रदूषण कोरोना महामारी से हार गया। दुनियाभर में मौत का तांडव करने वाले कोरोना वायरस के मद्देनजर लगाया गया लॉकडाउन पर्यावरण के लिए संजीवनी बन गया। अब से करीब एक माह पहले तक वायु प्रदूषण से चिंतित दुनियाभर के वैज्ञानिकों को लॉकडाउन ने प्रदूषण को काबू में रखने का नया रास्ता सुझा दिया है।
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अगर बात की जाए उत्तर प्रदेश के हाई टेक शहर नोएडा की तो यहां दशकों बाद आसमान अपने वास्तविक नीले रंग में दिखा है। इतना ही नहीं, रात में चांद के साथ तारे भी अब साफ दिखाई देने लगे हैं। कारण है कोरोना वायरस (कोविड-19) नाम के अदृश्य शत्रु को परास्त करने के लिए पूरी लगाया गया लॉकडाउन। इससे वायरस के प्रसार को रोकने में कई देशों को बड़ी कामयाबी मिली। लेकिन, इससे भी बड़ी कामयाबी पूरी दुनिया के लिए यमराज बने प्रदूषण को हराने में मिली है। नोएडा में भी लॉकडाउन का पर्यावरण पर जादुई असर हुआ है। वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. बीके गुप्ता का कहना है कि लॉकडाउन में पर्यावरण जी उठा है। इस कारण स्वांस, अस्थमा और फेफड़े की दूसरी बीमारियों के मरीजों की संख्या में भी कमी आई है।
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चिंताजनक है डब्लूएचओ की रिपोर्ट

बता दें कि पूरी दुनिया वायु प्रदूषण का शिकार का शिकार है, लेकिन भारत के लिए यह समस्या कुछ ज्यादा ही घातक होती जा रही है। डब्लूएचओ की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में 14 भारत के ही हैं। रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के 90 प्रतिशत से भी ज्यादा बच्चे जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं। वर्ष-2016 में 15 वर्ष से कम की उम्र के करीब 06 लाख बच्चों को वायु प्रदूषण से होने वाले श्वास नली के संक्रमण के चलते जान गंवानी पड़ी। रिपोर्ट के मुताबिक यहां 05 साल से कम उम्र वाले हर 10 में से एक बच्चे की मौत का कारण वायु प्रदूषण होता है।
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कड़े नियम भी नहीं रोक पाए प्रदूषण

जानलेवा वायु प्रदूषण को थामने के लिए भारत की केंद्र और राज्य सरकारों ने कई सख्त कदम उठाए। प्रदूषण फैलाने वालों पर भारी-भरकम जुर्माना, वाहनों और उद्योगों का चालान और एफआईआर दर्ज कर जेल भेजने जैसी कार्रवाई की गई। लेकिन, उससे प्रदूषण कम करने में कोई कामयाबी नहीं मिली। कोरोना से दुनियाभर में हालांकि लाखों लोग पीड़ित हैं,लेकिन इसके असर को कम करने के लिए लगाए गए लॉकडाउन से पर्यावरण को मिली संजीवनी को देश के लोग खोना नहीं चाहते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि भविष्य में प्रदूषण को नियंत्रण में रखने के लिए रणनीति के तहत समयबद्ध तरीके से लॉकडाउन करने पर विचार किया जाना चाहिए।

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