एडीएम की अध्यक्षता में जिला अस्पताल पहुंची जांच कमेटी ओपीडी रजिस्टर मंगवाकर गर्भवती की डिटेल चेक की। इस दौरान ओपीडी रजिस्टर में महिला की एंट्री नहीं मिली। एडीएम ने अस्पताल की सीसीटीवी फुटेज भी देखी। एडीएम कक्ष संख्या 107 व 151 के बाद इमरजेंसी भी पहुंचे। बारी-बारी से यहां मौजूद चिकित्सकों से महिला के बारे में जानकारी जुटाई। सेक्टर-24 स्थित ईएसआइसी अस्पताल से मिली जानकारी के मुताबिक महिला आठ माह की गर्भवती थी। सीवियर निमोनिया होने से उसके फेफड़ों में बलगम जम गया था। कोरोना के लक्षण भी थे। गंभीर होने पर उसे एंबुलेंस के जरिये जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया था।
इसके बाद में डॉक्टरों व स्वास्थ्य कर्मियों के भी बयान दर्ज किए गए। जांच के दौरान एडीएम ने सीएमएस से पूछा कि जब अस्पताल में 30 बिस्तरों के क्वारंटाइन बेड की सुविधा उपलब्ध है तो महिला को जिम्स क्यों रेफर किया गया और वहीं कोरोना संदिग्ध महिलाओं का अस्पताल में सैंपल लेकर जांच लैब भेजा जाता है। जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाती है, लेकिन गर्भवती के मामले में ऐसा कुछ नहीं। जिम्स रेफर करने के दौरान डॉक्टरों ने महिला को रेफरल कागज नहीं दिया। इस बात से नाराज एडीएम ने सीएमएस को मौके पर ही फटकार लगाई। एडीएम ने सीएमएस से कहा कि मुख्यमंत्री योगी ने स्वयं घटना का संज्ञान लेते हुए आरोपितों के खिलाफ जांच के बाद एफआइआर कराने के निर्देश दिए हैं, इसलिए दोषियों को बचाने की कोई भी हिमाकत नहीं करें।