साइबर क्राइम के एसीपी विवेक रंजन राय ने बताया कि डिजिटल ठगी के मामलों की जांच में पुलिस को पता चला कि इन घटनाओं के पीछे राजस्थान का एक गैंग सक्रिय है। उन्हें पकड़ने के लिए पुलिस की टीम राजस्थान भेजी गई। शनिवार को पुलिस ने सीकर से इस गैंग के मुखिया किशन, लखन, महेन्द्र, संजय शर्मा, प्रवीण जांगिड़ और शंभू दयाल को गिरफ्तार किया। इनके पास से सात मोबाइल फोन भी बरामद हुए, जिनका इस्तेमाल 18 राज्यों में 73 घटनाओं में किया गया था। पूछताछ में पुलिस को 80 बैंक खातों की जानकारी मिली है, जिनकी जांच चल रही है। पुलिस गैंग के अन्य सदस्यों के बारे में भी जानकारी जुटा रही है, और यह भी शक है कि इस गिरोह से कुछ विदेशी नागरिक जुड़े हुए हैं, जो उन्हें विदेश से संचालित कर रहे हैं। हालांकि, गैंग के किसी सदस्य की उनसे मुलाकात नहीं हुई है।
खातों की जानकारी जुटा रही पुलिस
गैंग के सदस्यों से मिली 80 बैंक खातों की जानकारी के आधार पर पुलिस यह पता लगाने में जुटी है कि इन खातों में कितना लेनदेन हुआ और वो कहां से हुआ। सभी बैंकों को ईमेल भेजकर इन खातों का रिकॉर्ड मांगा गया है। एसीपी विवेक रंजन राय ने बताया कि बैंक से डिटेल मिल जाने के बाद स्पष्ट होगा कि इस गैंग ने और कितने लोगों से ठगी का पैसा इन खातों में प्राप्त किया और फिर उस पैसे को कहां-कहां ट्रांसफर किया गया। सभी बैंकों से खातों से संबंधित जानकारी मांगी गई है। क्या होता है डिजिटल अरेस्ट
डिजिटल ठगी में ठग पीड़ित को फोन करके बताते हैं कि उनका नाम ड्रग तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में आया है, और उन्हें घर से बाहर निकलने की अनुमति नहीं है। वे पीड़ित को यह भी कहते हैं कि उन्हें ठगों से लगातार संपर्क में रहना होगा और इस बारे में अपने परिवार को नहीं बताना है। मामले को सुलझाने के लिए पैसे की मांग की जाती है। ठग फर्जी अधिकारियों का रूप धारण कर वीडियो कॉलिंग के जरिए लगातार बातचीत करते रहते हैं, जिससे पीड़ित डरकर पैसे भेज देता है।