वहीं 2020 की जानकारी के अनुसार ओडिशा में 3 काले हिरणों का शिकार हुआ, गुजरात में 1, तेलंगाना में एक शिकार और एक शिकारी गिरफ्तार हुआ, जबकि आंध्र प्रदेश में 3 हिरणों का शिकार हुआ। साल भर में कुल मिलाकर 8 काले हिरणों का शिकार हुआ जबकि 1 ही शिकारी गिरफ्तार हुआ। रंजन तोमर का कहना है कि दोनों वर्षों के डाटा को देखा जाए तो 2020 में हिरणों का शिकार काफी हद तक घटा है। जिसका एक कारण लॉकडाउन भी हो सकता है। इसके आलावा यह भी देखा गया है कि दोनों ही वर्षों में ओडिशा, गुजरात और आंध्र प्रदेश में शिकार नहीं रुका। संतोषजनक बात यह है के गुजरात और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में शिकार से ज़्यादा शिकारियों को गिरफ्तार किया गया है।
उन्होंने बताया कि एक आरटीआई से 2 वर्ष पहले यह जानकारी मिली थी कि 2008 से 2018 तक 139 काले हिरणों का शिकार हुआ था। इस जानकारी से यदि आज की जानकारी का मिलान किया जाए तो कहीं न कहीं काले हिरण का शिकार कम होता नज़र नहीं आता। सरकारों को चाहिए कि इसके प्रति सजग रहें और कानूनों का कड़े तरीके से पालन हो।