नई दिल्ली। जीएसटी यानि वास्तु एवं सेवा कर अभी भारतीय अर्थव्यवस्था में फिलहाल बहुत चर्चा में है। जीएसटी कैसे भारत की अर्थव्यवस्था को बदलेगा इसके लिए अभी एक्सपर्ट और आम नागरिक लगातार इस पर बहस कर रहे हैं। हालांकि वास्तविक प्रभाव अभी कुछ दिनों बाद ही पता चल पाएगा। इसी बीच कुछ ऐसी भी बातें है जिसका
तत्काल प्रभाव पड़ेगा, खासकर व्यवसाय में। उनमे से एक है टैक्स आइडेंटिफिकेशन नंबर, जीएसटीआईएन (गुड्स एंड सर्विसेज आइडेंटिफिकेशन नंबर) के नाम से भी जाना जा रहा है। यह मूल रूप से एक 15 अंको की संख्या जिसने उस टैक्स आइडेटनिफिकेशन नंबर का स्थान लिया है जो कंपनियों के राज्यों में वैल्यू एडेड टैक्स नियम के तहत रजिस्टर दौरान उन्हें मिला था। इन व्यसायों को अलग-अलग जगहों से और भी कई आइडेंटिफिकेशन नंबर मिले थे। लेकिन अब जीएसटी लागू होने के बाद इन सारे नम्बरों को जीएसटीआईएन से स्थानांतरित कर दिया जाएगा। आपको जीएसटी पोर्टल पर रजिस्टर करने के दौरान आपको एक एआरएन (एप्लीकेशन रेफेरेंस नंबर ) भी मिलेगा जो आपको अपने एप्लीकेशन से जुड़े किसी भी पूछताछ के लिए मदद करेगा।
इन नंबर को पाने के लिए हर व्यवसाय को सिर्फ दो चरण के प्रोसेस को पूरा करना होगा। सरकार ने अपने तरफ से इस ऑनलइन रजिस्ट्रेशन को काफी साधारण रखा है। टैक्सपेयर और जीएसटी प्रैक्टिशनर्स के लिए रजिस्ट्रेशन अभी gov.
GST.in पर खुल चूका है। जीएसटी रजिस्ट्रेशन बहुत ही महत्वूर्ण है क्योंकि बाद में ये जीएसटी से जुड़ी सभी फायदों को उपलब्ध कराने में मदद करेगी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 83.50 लाख एक्साइज, सर्विस टैक्स और वैट का आकलन; 65.6 लाख पहले से ही जीएसटीएन पोर्टल पर पंजीकृत हैं। इस 65.6 लाख में, लगभग 13 लाख व्यावसायिक संस्थाएं अभी पंजीकरण प्रक्रिया के दूसरे चरण को पूरा करने के लिए नहीं हैं।
जीएसटीआईएन क्या है ?
जीएसटी नियम के तहत, इनडाइरेक्ट टैक्स उद्देश्यों के लिए जरूरी सभी अलग पहचान नम्बर्स को केवल एक नंबर जीएसटीआईएन द्वारा बदल दिया जाएगा। सभी टैक्सपेयर को अब एक ही अनुपालन और प्रशासन के अंतर्गत एक प्लेटफार्म पर लाया गया है, और एक ही अथॉरिटी के तहत पंकिकरण सौंपा गया है। सरकार ने जीएसटीएन की स्थापना करते हुए जीएसटी को डिजिटल रूप से समर्थन करने के लिए एक आवश्यक आईटी संरचना प्रदान है। सभी व्यवसायों को एक अलग वास्तु एवं सेवा कर पहचान संख्या(जीएसटीआईएन) प्रदान किया जायेगा। यह 15 अंको की संख्या जिसने उस टैक्स आइडेटनिफिकेशन नंबर का स्थान लिया है जो कंपनियों के राज्यों में वैल्यू एडेड टैक्स नियम के तहत रजिस्टर दौरान उन्हें मिला था।
जीएसटीआईएन कैसे आवंटित होता है ?
इसके लिए दो चरण का वेरिफिकेशन प्रोसेस है।
चरण एक : जीएसटी नेटवर्क पोर्टल पर रजिस्टर करने के बाद हर व्यवसाय को एक प्रोविजनल नंबर दिया जाता है।
चरण दो : दूसरे चरण में बिज़नेस एंटिटी को जीएसटी पोर्टल पर लोग इन करन होगा और अपने व्यवसाय के बारे में व्यवसाय का जगह, निदेशक और बैंक अकाउंट जैसे कुछ विवरण साँझा करना होगा।
विशेष रूप से, सरकार ने ट्रेडर्स और व्यवसायों को उनके अंतिम पहचान संख्या नहीं मिलने तक 1 जुलाई के बाद प्रोविजनल आईडी के साथ भी अपना व्यवसाय जारी रखने की इजाजत दी है।
एआरएन क्या है ?
एआरएन का फुल फॉर्म एप्लीकेशन रेफेरेंस नंबर है। मूल रूप से, जीएसटी में एआरएन का मतलब, किसी यूजर को अपना रजिस्ट्रेशन स्टेटस जानने की सुविधा है। इसमें एआरएन रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर और मेल आईडी पर भेजा जायेगा। एआरएन में आपके रजिस्ट्रेशन के पांच संभावित स्टेटस हो सकते है। ये स्टेटस है, प्रोविजनल, पेंडिंग फॉर वेरिफिकेशन, वैलिडेटिंग अगेंस्ट एरर, माइग्रेटेड और कैंसलेड।
जीएसटीआईएन में क्या शामिल है ?
प्रत्येक टैक्सपेयर को राज्य के अनुसार पैन आधारित 15 अंकों के वस्तु और सेवा टैक्स आइडेंटिफिकेशन नंबर (जीएसटीआईएन) आवंटित किया जाता है।
1. पहले दो अंक भारतीय जनगड़ना 2011 के अनुसार स्टेट कोड को रेप्रेज़ेंट करता है।
2. अगले 10 अंक टैक्सपेयर का पैन नंबर होता है।
3. तेरहँवा अंक राज्यों में रजिस्ट्रेशन के आधार पर होता है।
4. चौदहंवा अंक डिफ़ॉल्ट रूप से Z है।
5. अंतिम अंक ‘राशि’ चेक कोड है।
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