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महाकाल की नगरी को ओशो मानते थे PERFECT, इंदौर ऐसे मना रहा BirthDay

ओशो महाकाल की नगरी उज्जैन को परफेक्ट कहते थे, इंदौर से भी उनका विशेष लगाव था। उज्जैन जाते समय वे इंदौर में भी कई बार रूकते थे।

इंदौरDec 11, 2016 / 09:39 am

Kamal Singh

osho birthday celebration

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इंदौर.
अपनी अद्वितीय बौद्धिक प्रतिभा से देश ही नहीं दुनियाभर में अध्यात्म के माध्यम से एक करने वाले महान दार्शनिक आचार्य रजनीश चंद्र मोहन (ओशो) का जन्मदिन रविवार को मनाया जा रहा है।
इंदौर में ओशो का जन्मदिन धूमधाम से मनाने के लिए तैयारियां की गई है। इसके लिए ध्यान-योग शिविर चल रहे हैं। ओशो महाकाल की नगरी उज्जैन को परफेक्ट कहते थे, इंदौर से भी उनका विशेष लगाव था। उज्जैन जाते समय वे इंदौर में भी कई बार रूकते थे।

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इंदौर में जन्मोत्सव का उल्लास
ओशो ध्यान विज्ञान मंदिर द्वारा ओशो जन्मोत्सव रविवार शाम 5 बजे परदेशीपुरा (इंदौर) स्थित ओशो ध्यान विज्ञान मंदिर पर मनाया जाएगा। ओशो की विश्व प्रसिद्ध ध्यान निधि, कुंडलिनी ध्यान, कीर्तन, जन्म-मृत्यु के पार विषय पर ऑडियो प्रवचन, शहनाई वादन व ओशो के जीवन दर्शन पर आधारित बायोग्राफी ऑफ ओशो का वीडियो मेगा स्क्रीन पर दिखाया जाएगा।

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बताई थी अपने पुनर्जन्म की कहानी
ओशो ने एक बार अपने दोस्त अरविंद जैन को अपने पुनर्जन्म की कहानी बताई थी। उन्होंने कहा था, कि मेरा यह पुनर्जन्म है, मैं आज से 750 साल पहले तिब्बत में पैदा हुआ था और सिर्फ तीन दिन की साधना रहा गई थी, तभी मेरी मौत हो गई, जिसके कारण मुझे दोबारा जन्म लेना पड़ा।

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न रोए न ही आवाज निकली
उन्होंने अपने दोस्त को यह भी बताया कि जब वे पैदा हुए तो न तो रोए थे, और न ही आवाज आई। पैदा होने के तीन दिन बाद तक ओशो न तो रोए ओर न ही मुहं से कोई आवाज निकली तो सब चौंक गए। उन्होंने मां का दूध पिया। जिसके बाद घरवालों ने एक वैद्य को बुलाया। ओशो को वैद्य ने देखा तो सब सामान्य था।



शिष्या ने रखे थे अनछुहे पहलुओं को सामने
ओशो का जन्म मध्य प्रदेश के रायसेन शहर के कुच्वाडा गांव में हुआ था। अपने भक्तों के बीच भगवान कहलाने वाले ओशो उर्फ रजनीश को लेकर कई विवाद भी सामने आए हैं, जिनमें से कई खुद उनकी शिष्या और प्रेमिका रही मां आनंद शीला ने अपनी किताब में लगा चुकी हैं।

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आरोपों के मुताबिक ओशो के आश्रम से 55 मिलियन डॉलर का घपला हुआ था, जिसमें उनकी शिष्या शीला को 39 महीने जेल में बिताने पड़े। जेल से निकलने के 20 साल बीत जाने के बाद शिष्या शीला ने एक किताब लिखी, जिसके जरिए उन्होंने कई अनछुहे पहलुओं को सामने रखा। इस किताब का नाम डोंट किल हिम! ए मेम्वर बाई मां आनंद शीला था।

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