पत्रिका ने ओलम्पिक स्टेडियम ग्राउंड की बदहाल स्थिति को लेकर खबरें प्रकाशित की थी। इसके पश्चात तत्कालिन कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन और फिर शीतला पटले ने मामला संज्ञान में लिया था। नगर निगम के माध्यम से पाइप लाइन बिछाई गई। इसके बाद खनिज विभाग मद से ग्राउंड के अन्य कार्य किए जाने थे। लेकिन इसी दौरान कलेक्टर का तबादला हो गया और मामला फिर से ठंडे बस्ते में चला गया।
छिंदवाड़ा जिला मुख्यालय में उच्चस्तरीय फुटबॉल ग्राउंड न होने की वजह से संभाग या फिर राज्यस्तरीय प्रतियोगिता भी नहीं हो पा रही है। कुछ वर्ष पहले जिला फुटबॉल संघ ने राज्यस्तरीय स्पर्धा कराने के लिए आवेदन किया था, लेकिन दिल्ली से आई टीम ने ग्राउंड को रिजेक्ट कर दिया। ऐसे में छिंदवाड़ा फुटबॉल संघ को सिवनी में आयोजन करना पड़ा।
वर्ष 2018 तक ओलम्पिक स्टेडियम ग्राउंड फुटबॉल खिलाडिय़ों के लिए काफी हद तक बेहतर था। इसी का परिणाम था कि जिले के कई महिला-पुरुष फुटबॉल खिलाड़ी इस ग्राउंड में प्रेक्टिस कर संतोष ट्राफी एवं ओपन माध्यम से अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता खेल चुके हैं। वर्ष 2019 से इस ग्राउंड की स्थिति खराब होने से खिलाड़ी ठीक से प्रेक्टिस नहीं कर पा रहे हैं।
जिला ओलम्पिक संघ के पास स्टेडियम के आसपास 97 दुकान संचालित की जाती हैं। इन दुकानों से संघ को हर माह 79,074 रुपए की आमदनी होती है। वहीं बैडमिंटन हॉल से भी हजारों रुपए की आय होती है।
वर्ष 2022 में पत्रिका ने अभियान चलाकर जिम्मेदारों का ध्यान दिलाया था। तत्कालिन कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन ने मामले को संज्ञान में भी लिया। जिम्मेदार अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी। नगर निगम के माध्यम से ग्राउंड में पानी के लिए पाइप लाइन भी बिछाई गई। इसके बाद फिर से मामला ठंडे बस्ते में चला गया। इसके बाद कलेक्टर शीतला पटले ने भी प्रयास किएए लेकिन इस बीच उनका तबादला हो गया।
इस संबंध में जल्द ही मीटिंग बुलाकर जिला खेल एवं युवा कल्याण अधिकारी से चर्चा करेंगे। खिलाडिय़ों के लिए बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
शीलेन्द्र सिंह, कलेक्टर, छिंदवाड़ा