आते ही खत्म हो रहा डीएपीडीएपी की किल्लत का आलम यह है कि किसान सब काम छोडकऱ डीएपी के बंदोबस्त के लिए दुकानों व सहकारी समितियों में चक्कर काटने को मजबूर हैं। यहां डीएपी खाद आते ही किसानों की भीड़ लग जाती है। हजारों कट्टे थोड़ी देर में ही खत्म हो जाते है। कई किसानों को तो घंटों तक लाइनों में लगने के बाद भी डीएपी नहीं मिल पा रहा। गेहूं की बुवाई शुरू होने वाली है, ऐसे में मांग बढऩे के बावजूद आपूर्ति कम हो रही है।
यह उत्पाद नहीं आ रहे रासडीएपी की जगह किसान सिंगल सुपर फॉस्फेट, एनपीके, नैनो यूरिया और नैनो डीएपी का उपयोग कर सकते हैं जो पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध भी है। नैनो यूरिया और नैनो डीएपी लगभग वहीं काम करता है, जैसे एक बोरी यूरिया करता हैं। डीएपी के स्थान पर नैनो डीएपी की एक बॉटल एक बोरी के बराबर ही काम करता है। ये सस्ता होने के साथ ही खेतों में डालने में भी सुविधा होती है, लेकिन किसानों का इन उत्पादों पर विश्वास पैदा नहीं हो रहा।
शुरूआत से ही कम आपूर्तिसांगोद के सहायक निदेशक कृषि विस्तार कार्यालय के अधीन क्षेत्र में शुरूआत से ही मांग अनुरूप डीएपी नहीं आ रहा। यहां अक्टूबर माह में 35 सौ मैट्रिक टन डीएपी के मुकाबले सिर्फ 638 मैट्रिक टन डीएपी की आपूर्ति हुई। नवम्बर में 4 हजार मैट्रिक टन डीएपी की जरूरत है, लेकिन पांच दिन बीतने के बावजूद डीएपी के एक कट्टे की भी आपूर्ति नहीं हुई। विभाग का दावा है कि दो-तीन दिन में डीएपी की रैक आने की पूरी संभावना है।
– मांग अनुरूप आपूर्ति नहीं होने से डीएपी की किल्लत बन रही है। इस माह 4 हजार मैट्रिक टन डीएपी की मांग के मुकाबले अभी तक आपूर्ति नहीं हुई। दो-तीन दिन में जिले में एक हजार मैट्रिक टन डीएपी की आपूर्ति की संभावना है।
डॉ. नरेश शर्मा, सहायक निदेशक, कृषि विस्तार सांगोद